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समाज शास्त्र के पठन-पाठन एवं पाठ्यक्रम संबंधी पक्षों पर की चर्चा

• LAST UPDATED : May 8, 2022

समाज शास्त्र के पठन-पाठन एवं पाठ्यक्रम संबंधी पक्षों पर की चर्चा

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं भारतीय ज्ञान परम्परा के परिपेक्ष में समाज शास्त्र पर आयोजित कार्यशाला का समापन

इंडिया न्यूज, धर्मशाला।

हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (Himachal Pradesh Central University), विद्या भारती उच्च शिक्षण संस्थान एवं शोध (SHoDH) के संयुक्त तत्वावधान में धौलाधार परिसर, धर्मशाला में आयोजित की जा रही समाज शास्त्र कार्यशाला रविवार को सम्पन्न हो गई।

कार्यशाला के दूसरे दिन समाज शास्त्र के पठन-पाठन एवं पाठ्यक्रम से संबंधित सभी पक्षों की तार्किक एवं विस्तृत चर्चा हुई। देशभर के सभी प्रमुख विश्वविद्यालयों से आए समाज शास्त्र के विशेषज्ञों ने समाज शास्त्र के अध्ययन की गुणवत्ता एवं विकास के लिए अपने सुझाव प्रस्तुत किए।

कार्यक्रम के दूसरे दिन 4 तकनीकी सत्र रहे जिसमें प्रथम सत्र का विषय “Preparing Sociology for Future (Climate Change, IoT, AI)” जिसके वक्ता प्रो. आर राजेश, प्रो. अरविंद कुमार जोशी तथा मोडरेटर रीना शर्मा रहे।

दूसरे सत्र का विषय “Strategies for Linking Indian and Global Sociology” जिसके वक्ता प्रो. एम. नागलिंगम, राकेश कृष्णन तथा मोडरेटर डा. शशि पूनम रहे।

तीसरे सत्र का विषय “Sociology at Schools – Questions of Curriculum and Pedagogy” जिसके वक्ता डा. जेएस पाण्डेय, डा. रामानंद, भरत तथा मोडरेटर कीर्ति शर्मा रहे।

चतुर्थ सत्र का विषय “Indianizing Sociology: Way Ahead” जिसके वक्ता प्रो. बद्री नारायण, प्रो. सत प्रकाश बंसल, कुलपति, रघुनंदन, डा. हरमोहिंदर सिंह बेदी, कुलाधिपति हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, प्रो. प्रदीप कुमार तथा मोडरेटर डा. संजीत कुमार रहे।

हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. हरमोहिंदर सिंह बेदी द्वारा लिखी गई रचनाओं तथा अपने द्वारा संकलित की गई पुस्तकों को विश्वविद्यालय के प्रयोग के लिए दान करने के उपरांत।

2 दिवसीय कार्यशाला में विस्तृत चर्चा के उपरांत ये प्रस्ताव पारित किया गया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का क्रियान्वयन में महत्पूर्ण घटक स्कूली शिक्षा है। स्कूली शिक्षा के स्तर पर भारतीय ज्ञान परम्परा, सामाजिक चिंतन तथा इसके उत्थान हेतु पाठ्यक्रमों की संरचना की जाना अनिवार्य है जिससे स्कूली विद्यार्थियों में देश, समाज के प्रति संवेदना, सहानुभूति व सहयोग की भावना जागृत हो सके।

कार्यशाला के दूसरे दिन के समापन समारोह कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. हरमोहिंदर सिंह बेदी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने इस प्रकार की कार्यशाला के आयोजन पर हर्ष प्रकट करते हुए इसे भविष्य के लिए शुभ संकेत की संज्ञा दी।

इसी वर्ष पदमश्री से सम्मानित हुए कुलाधिपति ने अपनी रचनाओं तथा अपने द्वारा संकलित की गई पुस्तकों को विश्वविद्यालय के प्रयोग के लिए दान कर दिया। प्रो. हरमोहिंदर सिंह बेदी पंजाब के प्रसिद्ध हिंदी लेखक और शिक्षाविद हैं। बेदी समकालीन हिंदी कविता के प्रसिद्ध कवि एवं समीक्षक भी हैं।

इनके कार्यों ने हिंदी साहित्य में पंजाब के अध्यात्मिक, सांस्कृतिक और धार्मिक योगदान को उल्लेखनीय रूप से रेखांकित किया है। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय परिवार प्रो. हरमोहिंदर सिंह बेदी (Pro. Harmohinder Singh Bedi) को कुलाधिपति के रूप में पाकर धन्य है। इस विशेष मौके पर कार्यक्रम में उनकी पत्नी डा. गुरनाम कौर भी उपस्थित रहीं।

कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में विद्या भारती उच्च शिक्षण संस्थान के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री केएन रघुनंदन उपस्थित रहे। उन्होंने समाज शास्त्र को सामाजिक विमर्श के निर्धारण का एक महत्वपूर्ण विषय बताते हुए इसमें शोध, अनुसंधान एवं पाठ सामग्री की रचना के लिए युवा शोधार्थियों को प्रोत्साहित करने की बात कही।

रघुनंदन ने यह भी बताया कि नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (National Education Policy-2020) ने शिक्षा के भारतीयकरण के लिए एक दिशा दिखा दी है। समाज शास्त्र, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, इतिहास जैसे समाज शास्त्र के विषयों को भारतीय ज्ञान परंपरा के वर्तमान समय में प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए आगे आना चाहिए।

कार्यशाला के दूसरे दिन के कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि प्रो. सत प्रकाश बंसल, कुलपति, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय ने विद्या भारती एवं शोध को इस प्रकार की अनूठी कार्यशाला का आयोजन करने में विश्वविद्यालय के साथ मिलकर काम करने के लिए आभार व्यक्त किया।

शैक्षिक जगत में बौद्धिक नवाचार के प्रोत्साहन पर बल देते हुए नए भारत हेतु नए राष्ट्रीय विमर्श को गढ़ने की बात पर चर्चा की गई। इस कार्यशाला के संयोजक विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता, छात्र कल्याण प्रो. प्रदीप कुमार रहे। कार्यशाला में देशभर से समाज शास्त्र के शोधार्थियों एवं बौद्धिकों ने इस कार्यशाला में भाग लेकर सुझाव दिए।

इस कार्यशाला में विभिन्न टेक्निकल सत्रों के मुख्या वक्ता के रूप में प्रोफेसर बीबी मोहंती, प्रो. बद्रीनारायण, प्रो. आर. राजेश, प्रो. अरविंद जोशी, प्रो. सुभद्रा चानना, डा. एन. नागलिंगम, डा. जय शंकर पाण्डेय, डा. अर्चना सिंह, डा. आशीष कुमार, राकेश कृष्णन, डा. अखिलेश पाठक जैसे समाज शास्त्र के विशेषज्ञ उपस्थित रहे।

विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति के सचिव प्रो. अम्बरीश कुमार महाजन, परीक्षा नियंत्रक डा. सुमन शर्मा, कुलानुशासक डा. सुनील ठाकुर और सभी संकायों/विभागों/केंद्रों के सभी अधिष्ठाता/विभागाध्यक्ष/निदेशक मौजूद रहे। कार्यशाला का धन्यवाद ज्ञापन प्रो. विशाल सूद, कुलसचिव द्वारा दिया गया। समाज शास्त्र के पठन-पाठन एवं पाठ्यक्रम संबंधी पक्षों पर की चर्चा

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