इंडिया न्यूज, कुल्लू।
Find A Solution to Save Children from Drugs : हिमाचल नशा निवारण बोर्ड के संयोजक एवं सलाहकार ओपी शर्मा ने कहा कि प्रदेश के 15 विधानसभा क्षेत्रों की 300 पंचायतों में जहां नशे का कारोबार अधिक है, वहां लोगों को सुविधाएं प्रदान कर आजीविका के रूप में प्राकृतिक खेती, उद्योग व अन्य स्वरोजगारोन्मुखी कार्यों को अपनाने के लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हम ऐसी प्रक्रिया को अपनाने का प्रयास कर रहे हैं जिससे नशे से प्रभावित क्षेत्रों में समस्या पैदा करने वालों को ही समस्या का हल करवाने वाला बनाया जा सके।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश समग्र नशा निवारण नीति भांग, अफीम आदि की खेती को करने से रोकती है तथा आपराधिक मामलों पर गंभीरता से समीक्षा की जाती है।
नशे की उपलब्धता ही नशे का मुख्य कारोबार है। विदेशों से नशा प्रदेश में पहुंचता है। इसे जागरूक तथा परस्पर सहयोग से समाप्त करने को प्राथमिकता प्रदान की जा रही है।
वे मंगलवार को नशामुक्त हिमाचल-समृद्ध एवं स्वस्थ हिमाचल मिशन के तहत कुल्लू स्थित देव सदन में एक दिवसीय जागरूकता कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
इस कार्यशाला में जिलेभर से वन विभाग तथा राजस्व विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया।
ओपी शर्मा ने कहा कि जहां 2002 में 2 प्रतिशत बच्चे नशे से ग्रस्त थे, वहीं आज यह आंकड़ा बढ़कर 40 प्रतिशत हो गया है। उन्होंने कहा कि बच्चे देश के वर्तमान तथा भविष्य हैं।
देश को विकास को हर ऊंचाई तक ले जाने की जिम्मेदारी इनके कंधों पर है इसलिए सबसे पहले उनके जीवन को बचाने के लिए हम सभी को गहन चिंतन कर हल निकालना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जिला कुल्लू तथा मंडी नशा तथा इसका कारोबार करने वालों में सबसे अधिक प्रभावित है। लिहाजा यहां पर नशे को जड़ से उखाड़ फैंकने के लिए अत्यधिक मेहनत करने की जरूरत है।
शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 15 जनवरी, 2020 को हिमाचल प्रदेश नशा निवारण बोर्ड का गठन कर उन्हें संयोजक का दायित्व दिया।
मुख्यमंत्री की इस पहल के चलते ही हिमाचल प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य है जिसकी अपनी इंटिग्रेटिड ड्रग्ज पालिसी है। यह नीति बनाई गई, इसे लागू किया गया तथा अब इसे प्रदेश में बेहतर तरीके से क्रियान्वित करने की हम सब की जिम्मेदारी है।
शर्मा ने कहा कि कर्मचारी सरकार का अभिन्न अंग होते हैं तथा समाज में व्याप्त विभिन्न प्रकार की कुरीतियों को खत्म करने के लिए अहम भूमिका निभा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि जिला कुल्लू में चरस तथा अफीम की खेती को नष्ट करने के लिए तथा युवाओं को नशे के चंगुल से बचाने के लिए नशा निवारण अभियान को एक मिशन मोड में चलाने की आवश्यकता है।
इसके लिए वन विभाग के अधिकारियों को अफीम की खेती से संबंधित सर्वे रिपोर्ट को 15 मई तक राजस्व विभाग से संबंधित अधिकारियों को भी जिले में चरस की खेती से संबंधित सर्वे रिपोर्ट 15 अप्रैल तक प्रस्तुत करने को कहा गया।
शर्मा ने कहा कि अधिकारियों को अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए इस कार्यशाला से संकल्प लेकर समाज से नशे के खात्मे के लिए पूर्ण सहयोग करना होगा।
देव संस्कृति संरक्षण व नशामुक्त समाज की स्थापना के लिए हम सब को मिलकर नशे के खिलाफ लड़ना होगा, अडिग रहना होगा।
उन्होंने एनडीपीएस अधिनियम, 1985 की धारा 44 से 48 तक के विभिन्न प्रावधानों की एक वीडियो प्रेजेंटेशन के माध्यम से विस्तार से जानकारी भी दी।
इससे पहले उप आयुक्त राज्य कर एवं आबकारी कुल्लू प्रदीप शर्मा ने मुख्यातिथि का स्वागत किया तथा कार्यक्रम के बारे में संक्षिप्त रूप से जानकारी प्रदान की।
इस अवसर पर एसडीएम बंजार प्रकाश चंद आजाद, एसी टू डीसी केशव राम, तहसीलदार सदर मित्र देव के अतिरिक्त राजस्व, वन विभाग सहित अन्य विभागों के अधिकारी भी उपस्थित रहे। Find A Solution to Save Children from Drugs
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