India News (इंडिया न्यूज़), Himachal News:
हिमाचल प्रदेश सरकार उद्योगों पर बढ़ाए बिजली शुल्क को कम करने की तैयारी में है। कैबिनेट बैठक की मंजूरी के लिए ऊर्जा विभाग ने प्रस्ताव बनाना शुरू कर दिया है। सूबे के उद्योगों पर छह से सात प्रतिशत तक इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी बढ़ाई गई है। विधानसभा के मानसून सत्र में भाजपा विधायकों ने इसके विरोध में खूब हंगामा किया था। इस दौरान उद्योग मंत्री ने दोबारा इस संदर्भ में विचार करने का आश्वासन दिया। अब सत्र समाप्त होते ही ऊर्जा विभाग को इस बाबत प्रस्ताव बनाने के आदेश जारी हो गए हैं।
अगस्त में राज्य मंत्रिमंडल से सर्कुलेशन के माध्यम से हस्ताक्षर लेकर इस प्रस्ताव को मंजूर करवाया गया है। एक सितंबर से प्रदेश में नई बिजली दरें उद्योगों पर लागू हुई हैं। घरेलू, कृषि और सिंचाई उपभोक्ताओं के लिए शुल्क नहीं बढ़ाया गया है। नई दरों के तहत एचटी (हाई टेंशन) के अधीन आने वाले उद्योग के लिए बिजली शुल्क 11 प्रतिशत से 19 प्रतिशत तक की बदोत्री कर दिया गया है।
ईएचटी (एक्सट्रीम हाई टेंशन) उद्योगों के लिए इसे 13 प्रतिशत से बढ़ाकर 19 प्रतिशत कर दिया गया है। छोटे और मध्यम उद्योगों पर बिजली शुल्क 11 प्रतिशत से 17 प्रतिशत तक बढ़ाया है। सीमेंट संयंत्रों पर बिजली शुल्क 17 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया है। डीजी (डीजल जनरेटर) सेट की ओर से बिजली उत्पादन पर 45 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली शुल्क भी लगाया।
सरकार ने कैप्टिव उत्पादन और हरित ऊर्जा पर विद्युत शुल्क में दी गई छूट भी वापस ले ली है। 24 अगस्त को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह प्रस्ताव नहीं आया था। इसके बाद सरकार ने सर्कुलेशन के माध्यम से सभी मंत्रियों को यह प्रस्ताव भेजकर मंजूर करवाया है। उद्योग जगत के विभिन्न संगठन भी सरकार के इस फैसले का लगातार विरोध कर रहे हैं। इसी कड़ी में सरकार ने अब दोबारा से इसको लेकर विचार करने का फैसला लिया है।