इंडिया न्यूज, पालमपुर :
Increase Water Productivity with Micro Irrigation : चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय के मृदा विज्ञान विभाग में पानी की कमी वाले क्षेत्र में फसल और पानी की उत्पादकता बढ़ाने के लिए सूक्ष्म सिंचाई और फर्टिगेशन प्रौद्योगिकियों में प्रगति पर 10 दिवसीय आईसीएआर लघु प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुक्रवार को संपन्न हुआ।
2 मार्च से 11 मार्च, 2022 तक आयोजित इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों जैसे महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश से 21 वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के समापन पर बतौर मुख्यातिथि कुलपति डा. एचके चौधरी ने देशभर में जल उत्पादकता बढ़ाने के लिए सूक्ष्म सिंचाई के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में लगातार सूखे के कारण सूक्ष्म सिंचाई भारत में एक नीतिगत प्राथमिकता बन गई है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभागियों को वर्षा जल संचयन तकनीकों पर व्याख्यान देकर पानी की कमी और वर्षा जल के उपयोग के वैकल्पिक दृष्टिकोण के बारे में पर्याप्त जानकारी प्रदान की गई।
इससे प्रतिभागियों को सूक्ष्म सिंचाई आधारित पानी की आवश्यकताओं के आंकलन, खुले और संरक्षित पर्यावरणीय परिस्थितियों में विभिन्न फसलों के लिए फर्टिगेशन शेड्यूलिंग के बारे में ज्ञान प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी।
इस कार्यक्रम के तहत प्रतिभागियों ने जल प्रबंधन फार्म, वनस्पति प्रयोगात्मक क्षेत्र, जैविक और प्रकृतिक खेत, पौधों के पोषक तत्व को भी देखा।
केवीके कांगड़ा, विश्लेषणात्मक प्रयोगशाला, बागवानी इकाई के भ्रमण के दौरान विशेषज्ञों को सब्जियों और अन्य खेतों की फसलों की उत्पादकता पर सटीक सिंचाई को बेहतर ढंग से समझने के लिए यह पाठ्यक्रम उनके लिए उपयोगी साबित हुए हैं।
कृषि महाविद्यालय के डीन डा. डीके वत्स और अनुसंधान निदेशक डा. एसपी दीक्षित ने वर्षा सिंचित क्षेत्रों के लिए सूक्ष्म सिंचाई के महत्व पर प्रकाश डाला।
मृदा विज्ञान विभाग अध्यक्ष डा. एनके सांख्यन ने विभिन्न वैज्ञानिक पृष्ठभूमि के सभी प्रतिभागियों का गर्मजोशी से स्वागत किया और उन्हें संक्षेप में प्रशिक्षण पाठ्यक्रम कार्यक्रम का उद्देश्य बताया।
पाठ्यक्रम निदेशक डा. संजीव के संदल ने बताया कि खुली और संरक्षित परिस्थितियों में उगाई जाने वाली सब्जी फसलों के लिए ड्रिप और फर्टिगेशन शेड्यूल को मानकीकृत किया गया है और तदर्थ सिफारिशें दी गई हैं।
प्रधान वैज्ञानिक डा. अनिल कुमार ने सूक्ष्म सिंचाई के महत्व पर प्रकाश डाला। Increase Water Productivity with Micro Irrigation
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