इंडिया न्यूज, धर्मशाला (Dharamshala-Himachal Pradesh)
देव भूमि के सम्मान इस साल का स्वामी सत्यानंद स्टोक्स सम्मान विशिष्ट विद्वान प्रोफेसर कुलदीप चंद अग्निहोत्री को दिया गया। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय शिक्षक समिति ने इस सम्मान की इस वर्ष शुरुआत की है।
धौलाधार परिसर में भव्य सम्मारोह का आयोजित किया गया, जिसमें प्रोफेसर कुलदीप चंद अग्निहोत्रि को प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह देकर गणमान्य अतिथियों के मौजूदगी में सम्मानित किया गया। इस मौके पर प्रो0 कुलदीप चंद अग्निहोत्रि ने कहा कि यह सम्मान उन्हें नहीं बल्कि स्वामी सत्यानंद को दिया गया है। मैं तो सिर्फ माध्यम हूँ ।
इस कार्यक्रम का आयोजन हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के तिब्बत अध्ययन केंद्र के सहयोग से तिब्बत सवांद का हुआ। इसमें शिरकत करते हुए निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्री पेंपा सेरिंग ने कहा के भारत हमारी धर्म और संस्कृती के स्रोत है। तिब्बती भाषा देवनागरी लिपी में लिखी जाती है।
भगवान बुद्ध जी की जन्मस्थली भारत है। हमारे निर्वासित सरकार की पुस्तकालय में भारतीय ज्ञान परम्परा के 13000 से अधिक किताब हैं।
सांची यूनिवर्सिटी आफ बुद्धिस्ट स्टडीज के कुलाधिपति प्रोफेसर वेनेरेबल सामदहोंग रिंपोचे ने कहा कि धर्म, दर्शन और संस्कृति के उद्गम स्थल एक होते हुए अस्तित्व अलग हो सकता है। धर्म चित्त को साधारण से असाधारण अवस्था में ले जाती है।
राजनैतिक और आर्थिक कारण से जो होता है और जिसको हम कन्वर्शन कहते हैं, वो कपड़े बदल कर नई कपड़े पहनने जैसा होता है। इसमें धर्म की कोई चिन्ह ही नहीं होता है।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 सत प्रकाश बंसल ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय एक अंतराष्ट्रीय बुद्धिस्ट सम्मेलन का आयोजन करने जा रही है।
स्वामी सत्यानंदजी के बारें में बताते हुए उन्होने कहा कि अभी उनके बारे में सबको जानने की आवश्यकता है।
शिक्षक समिति के इस पहल की उन्होनें सराहना की। शिक्षक समिति के सचिव डॉ0 गौरीशंकर साहू स्वामी सत्यानंद के बारे में बताते हुए इस सम्मान की पृष्ठभूमि के बारे में विस्तार से बताया। समिति के अध्यक्ष डॉ0 राकेश कुमार ठाकुर ने धन्यवाद ज्ञापन किया।