इंडिया न्यूज, सलूणी (चम्बा)।
Lavender will be cultivated in Salooni Valley : हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के साथ जिला चम्बा में किसानों-बागवानों की आर्थिकी को सशक्त बनाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों और जलवायु के आधार पर नगदी फसलों को बढ़ावा देने के लिए कार्य योजना को तैयार किया गया है।
ये जानकारी उपायुक्त दूनी चंद राणा ने सोमवार को अरोमा मिशन चरण द्वितीय के तहत हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के सहयोग से कृषि विभाग एवं उद्यान विभाग द्वारा संयुक्त तौर पर उपमंडल मुख्यालय सलूणी में आयोजित 1 दिवसीय जागरूकता शिविर में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए दी।
जागरूकता शिविर में सीएसआईआर-हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक डा. संजय कुमार भी विशेष रूप से मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के साथ गत वर्ष साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे।
इसके तहत जिले में सुगंधित पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को तकनीकी जानकारियां उपलब्ध करवाने के साथ विभिन्न फसलों की पौध, डिस्टलेशन यूनिट और तैयार उत्पाद की बिक्री के लिए बाजार भी उपलब्ध करवाना शामिल किया गया है।
उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में संस्थान द्वारा जिले में विभिन्न स्थानों में 13 डिस्टलेशन यूनिट (सघन तेल आसवन इकाई) स्थापित किए जा चुके हैं।
सलूणी घाटी में लैवेंडर की खेती को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी देते हुए उपायुक्त ने बताया कि संस्थान के माध्यम से 30 एकड़ के क्षेत्रफल को लैवेंडर खेती के तहत लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
उन्होंने किसानों को आश्वस्त करते हुए कहा कि जिला प्रशासन द्वारा दोनों को हरसंभव सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी।
उपायुक्त ने वन क्षेत्र के तहत आने वाली खाली भूमि में लैवेंडर के पौधारोपण के लिए भी आवश्यक कदम उठाने की बात कही। उन्होंने प्रतिभावान किसानों-बागवानों को प्राथमिकता के साथ जोड़ने का आह्वान भी किया।
उन्होंने सलूणी स्थित चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान केंद्र में सुगंधित और औषधीय पौधों की पौध तैयार करने की बात भी कही।
शिविर में सीएसआईआर-हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक डा. संजय कुमार ने बताया कि जिले में औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती के लिए अनुकूल जलवायु उपलब्ध है।
परंपरागत फसलों से हटकर संस्थान द्वारा जिले में लैवेंडर, जंगली गेंदा, केसर और हींग के उत्पादन के लिए किसानों को तकनीकी जानकारी के साथ उच्च गुणवत्ता युक्त बीज और पौधे भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।
किसानों को डिस्टलेशन यूनिट स्थापित करने के साथ बाजार के साथ भी जोड़ा जा रहा है।
इस दौरान किसानों-बागवानों को लैवेंडर के 13 हजार पौधे भी वितरित किए गए। संस्थान के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक राकेश राणा ने लैवेंडर की खेती के लिए आवश्यक जानकारी भी सांझा की।
शिविर में वैज्ञानिकों द्वारा सुगंधित पौधों की खेती, फलों का उच्च घनत्व पौधारोपण और कृषि एवं उद्यान विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी भी प्रदान की गई।
इसके पश्चात उपायुक्त दूनी चंद राणा और सीएसआईआर-हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक डा. संजय कुमार ने गांव चकोली में सीएसआईआर अरोमा मिशन के तहत सघन तेल आसवन इकाई का शुभारंभ भी किया।
इस अवसर पर एसडीएम सलूणी डा. स्वाति गुप्ता, आईएचबीटी के प्रधान वैज्ञानिक डा. राकेश शर्मा, उप-निदेशक एवं परियोजना अधिकारी ग्रामीण विकास अभिकरण चंद्रवीर सिंह, उप-निदेशक उद्यान डा. राजीव चंद्रा, उपनिदेशक कृषि डा. कुलदीप धीमान, प्रगतिशील बागवान एमके बडियाल, प्रह्लाद भक्त और स्थानीय गणमान्य लोग उपस्थित रहे। Lavender will be cultivated in Salooni Valley
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