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पर्यावरण संबंधी संवैधानिक कानूनों व अधिकारों से करवाया अवगत

• LAST UPDATED : April 21, 2022

पर्यावरण संबंधी संवैधानिक कानूनों व अधिकारों से करवाया अवगत

  • हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में व्याख्यान शृंखला का आयोजन

इंडिया न्यूज, धर्मशाला।

हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (Himachal Pradesh Central University) के शाहपुर परिसर में पृथ्वी एवं पर्यावरण विभाग द्वारा कुलपति प्रो. सतप्रकाश बंसल के मार्गदर्शन में पृथ्वी दिवस (Earth Day) के उपलक्ष पर 2 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला के अंतर्गत व्याख्यान शृंखला का आयोजन हुआ जिसमें वाडिया हिमालयन भू-विज्ञान संस्थान देहरादून (Wadia Institute of Himalayan Geology Dehradun) के निदेशक डा. कलाचंद सैन, जम्मू व कश्मीर के पूर्व मुख्य वन संरक्षक डा. आरएस जसरोटिया एवं जम्मू विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. राजकुमार रामपाल ने बतौर वक्ता कार्यक्रम में अपने व्याख्यान दिए।

स्कूल के अधिष्ठाता प्रो. एके महाजन ने डा. कलाचंद सेन का स्वागत किया। डा. कलाचंद सैन ने पृथ्वी संरक्षण पर बल देते हुए भू-विज्ञान एवं पर्यावरण विज्ञान में मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के महत्व से अवगत करवाया।

डा. आरएस जसरोटिया ने पर्यावरण संरक्षण के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण पर चर्चा करते हुए भारत में पर्यावरण न्याय और चुनौतियों का वर्णन किया।

साथ ही साथ उन्होंने पर्यावरण से संबंधित संवैधानिक कानूनों व अधिकारों से अवगत करवाया। कार्यक्रम के अंत में प्रो. महाजन द्वारा वक्ताओं को समृति चिन्हों से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में वक्ताओं व स्कूल के अधिष्ठाता के अलावा विभाग के अन्य सदस्य डा. दीपक पंत, डा. अनुराग, डा. अंकित टंडन, डा. दिलबाग सिंह, शोधार्थी व अन्य विद्यार्थी उपस्थित रहे।

समारोह के दूसरे दिन व्याख्यान शृंखला में डा. कलाचंद सैन ने गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हुए श्रोताओं को प्रेरित किया।

उनका विषय हिमालय में भू-खतरे (geo-hazards) रहा जिसमें उन्होंने 3 प्रकार के भू-खतरों जैसे भूकंप (earthquake), भूस्खलन (landslide) एवं हिमस्खलन (Avalanche) तथा इससे होने वाले नुक्सान और कैसे इन खतरों का अल्पीकरण किया जाए, के बारे में जानकारी दी।

डा. राजकुमार रामपाल ने पर्यावरण स्थिरता (environmental sustainability) के बारे में जानकारी दी। इसमें उन्होंने अन्य विषय जैसे अपशिष्ट प्रबंधन, कृमि पालन एवं कृमि खाद पर सभी का ध्यान केंद्रित करते हुए अपशिष्ट प्रबंधन में इनकी भूमिका बताई।

मनुष्य पृथ्वी के बिना जीवन यापन नहीं कर सकता परंतु पृथ्वी मनुष्य के बिना भी कर सकती है। व्याख्यान शृंखला के अंतिम भाषण में डा. आरएस जसरोटिया ने कार्बन क्रेडिट (carbon credit) व कार्बन ट्रेडिंग (carbon trading) के बारे में राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर की जानकारी प्रदान की।

साथ ही इन्होंने वन में कार्बन जैव भार के मूल्यांकन की तकनीकें श्रोताओं के साथ सांझा की। डा. अनुराग ने सभी गणमान्यों का आभार व्यक्त किया। Made aware of the constitutional laws and rights related to the environment

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