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21 नवम्बर 2022 तक मनाया जाएगा राष्ट्रीय नवजात सप्ताह- डॉ0 देवेन्द्र शर्मा

• LAST UPDATED : November 16, 2022

21 नवम्बर 2022 तक मनाया जाएगा राष्ट्रीय नवजात सप्ताह- डॉ0 देवेन्द्र शर्मा

  • शिशु तथा मातृ मृत्यु दर को कम करने को चलेगा जागरूकता अभियान

इंडिया न्यूज, मंडी (Mandi-Himachal Pradesh)

राष्ट्रीय नवजात सप्ताह का जिला स्तरीय जागरूकता अभियान का आयोजन मातृ एवं शिशु अस्पताल मण्डी में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 देवेन्द्र शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित किया गया।

उन्होने बताया कि शिशु जीवन के पहले चार सप्ताह बहुत ही जोखिम भरे और कष्टदायक होते है, क्योंकि प्रसव के दौरान व जन्म के एक घण्टे के भीतर लगभग 40 प्रतिशत नवजात मौतें हो जाती है। नवजात शिशुआंे की सभी मौतों में से तीन चैथाई शिशु जीवन के पहले सप्ताह में ही मर जाते है, जबकि शिशु जन्म के समय नवजात को उचित देखभाल तथा गुणवतापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार करके नवजात शिशु मृत्यु को रोका जा सकता है।

इसी उद्देश्य के तहत भारत सरकार ने राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह का आयोजन 15 नवम्बर से 21 नवम्बर 2022 तक जागरूकता अभियान में मनाया जा रहा है।

उन्होने इस दौरान जिला मण्डी में होनी वाली गतिविधियों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि एस.एन.सी.यू.-एन.बी.सी.यू. तथा प्रसव कक्ष से जुड़े लोगों तथा स्वास्थ्य देखभाल देने वालों को परामर्श व मेंटरिंग की जायेगी और गुणवता को परखने के लिए भ्रमण किया जाएगा।

जिला के बाल रोग विशेशज्ञ, समस्त खण्ड चिकित्सा अधिकारियों तथा सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को भी जागरूक किया गया है ताकि जिला में सभी स्वास्थ्य संस्थानों पर निरीक्षण भी करें और देखभाल में आ रही समस्याओं का निपटारा भी करें जिससे एक गुणवतापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ सुचारू रूप से जिला में मुहैया हो सके और शिशु मृत्यु दर तथा मातृ मृत्यु दर को कम किया जा सके।

जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ0 अनुराधा शर्मा ने बताया कि संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रसव के बाद 48 घण्टे तक माँ और शिशु को उचित देखभाल दी जा रही है। इस से अधिक जोखिम वाले शिशु जो कम बजन वाले, समय से पूर्व जन्में या दूध पीने में असमर्थ हो उन्हें अधिक देखभाल, उपचार तथा निगरानी की आवष्यकता होती है। जब यह शिशु एस.एन.सी.यू. तथा एन.बी.एस.यू. से डिसचार्ज होते है तो आशा कार्यकर्ता उन नवजात शिशु ओं को घर पर फौलोऑप करेगी तथा माँ और परिवार वालों को खतरों के बारे में घर-घर जाकर जागरूक करेगी।

डॉ0 वरूण, स्त्री रोग विशेषज्ञ ने बताया कि इस अभियान के अर्न्तगत आषा नवजात शिशु ओं व उनकी माताओं तथा परिवार के सदस्यों को स्तनपान एक घण्टे के भीतर, माँ के दूध के अलावा 6 महीने तक कुछ न देना, टीकाकरण, स्वच्छता, खतरों के लक्षणों से परिचित करवायेगी। गर्भवती महिलाओं में अधिक जोखिम की पहचान डॉक्टर द्वारा की जायेगी।

जन शिक्षा एवं सूचना अधिकारी सोहन लाल ने बताया कि नवजात शिशुओं मेें खतरे के लक्षण जिसमें दूघ पीना कम, सांस लेने में कठिनाई, तेज सांस, दौरे पड़ना, झटके आना, शरीर का ठण्डा पड़ने पर कंगारू मदर केयर देना, उल्टी होना या नाभी नाल में पस हो तो तुरन्त स्वास्थ्य केन्द्र भेजने के लिए लोगों को जागरूक करना है तथा इस अवधि के दौरान अपने भ्रमण का ब्यौरा स्वास्थ्य केन्द्र पर भेजना है।

इस अवसर पर एक बेबी शो का आयोजन किया गया जिसमें प्रथम स्थान पर आदिश दूसरे स्थान पर लोहीतक्ष और तीसरे स्थान पर चित्रांस रहे।

सभी को नगद पुरस्कार मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा प्रदान किये गये। इस अवसर पर बाल रोग विशेषज्ञ डॉ0 वीरेन्द्र ठाकुर ने भी अपने विचार रखे।

कार्यक्रम में डॉ0 सोनल तथा मातृ एवं बाल अस्पताल की वार्ड सिस्टर, महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ताआ सहित 110 लोगों ने भाग लिया।

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