इंडिया न्यूज, धर्मशाला।
Poets-Storytellers Tied The Knot : ‘लब्ज जब खौरू पौंदे ने, तद कलम बगावत करदी है, औदों रूह मेरी कविता लिखण दी हामी भरदी है’। यह पंक्तियां हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (Himachal Pradesh Central University) के धौलाधार परिसर-1 के सभागार में आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान कवयित्री और कहानीकारा हरकी विर्क ने कही।
सोमवार को पंजाबी साहित्य सभा और केंद्रीय विवि के पंजाबी एवं डोगरी विभाग के सौजन्य से आयोजित इस संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि विवि के अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. प्रदीप कुमार, मुख्य वक्ता कवयित्री और कहानीकारा सुरजीत कौर, विशिष्ट वक्ता कवयित्री और कहानीकारा हरकी विर्क ने शिरकत की।
इस संगोष्ठी की अध्यक्षता पंजाबी एवं डोगरी विभाग के अध्यक्ष डा. बृहस्पति मिश्र ने की। संगोष्ठी के संयोजक डा. नरेश कुमार और सह-संयोजक डा. हरजिंद्र सिंह रहे। इस मौके पर छात्र-छात्राएं एवं शोधार्थी मौजूद रहे।
प्रवासी जीवन और साहित्य विषय पर आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की मुख्य वक्ता कवयित्री और कहानीकारा सुरजीत कौर ने अपने प्रवासी जीवन के अनुभव शोधार्थियों के साथ सांझा किए।
उन्होंने काव्य पाठ भी किया। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में अब पंजाबी साहित्य को बहुत महत्व दिया जा रहा है। युवा वर्ग की काफी रुचि है।
बहुत सारे युवा आज विदेशों में पढ़ाई के लिए जा रहे हैं लेकिन वहां जाकर सब कुछ बदल जाता है। वह वहां की भाषा और रहन-सहन को अपना लेते हैं। यह सही नहीं है।
हम विदेशों में अपने बच्चों को अपनी भाषा में बोलना सीखाते हैं लेकिन जब भारत लौट कर आते हैं तो यहां के स्कूलों में अंग्रेजी या हिंदी में बात करने के लिए बच्चों को कहा जाता है। यह सही नहीं है।
इस मौके पर उन्होंने अपनी कविताएं भी शोधार्थियों के साथ सांझा कीं।
इसी तरह से विशिष्ट वक्ता कवयित्री और कहानीकारा हरकी विर्क ने भी बताया कि वह कैसे आस्ट्रेलिया गई और किस तरह उनका अनुभव रहा।
उन्हें किस तरह की दिक्कतों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, इसके बारे में जानकारी दी। उन्होंने अपने जीवन के उन अनुभवों को साझा किया जिसमें वह कलम के माध्यम से अपना दुख सांझा करने के लिए मजबूर हो गई।
इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि प्रो. प्रदीप कुमार अधिष्ठाता छात्र कल्याण ने कहा कि जिस प्रकार इन प्रवासी साहित्यकारों ने आज अपने अनुभव छात्रों के साथ सांझा किए हैं, इनसे जरूर कुछ न कुछ सीखेंगे।
उन्होंने भी पंजाब के लोगों के विदेशों के प्रति रुझान के संदर्भ में अपने अनुभव सांझा किए। वहीं संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पंजाबी और डोगरी विभाग के अध्यक्ष डा. बृहस्पति मिश्र ने मुख्य वक्ता और मुख्य अतिथि, विशिष्ट वक्ता का आभार जताया और कहा कि इस तरह के आयोजनों से हमें संस्कृतियों से रू-ब-रू होने का मौका मिलता है।
साहित्य चाहे किसी भी भाषा में हो, सभी को आकृष्ट करता है। वहीं इस कार्यक्रम के संयोजक डा. नरेश कुमार और सह संयोजक डा. हरजिंदर सिंह ने सभी का इस संगोष्ठी में भाग लेने पर आभार जताया।
इस मौके पर डा. नंडूरीराज गोपाल, संस्कृत विभाग के सभी प्राध्यापक और शोधार्थी मौजूद रहे। Poets-Storytellers Tied The Knot
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