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प्राध्यापकों ने जानी सामाजिक विज्ञान अनुसंधान की महत्ता Professors Learned The Importance of Social Science Research

• LAST UPDATED : April 20, 2022

प्राध्यापकों ने जानी सामाजिक विज्ञान अनुसंधान की महत्ता Professors Learned The Importance of Social Science Research

  • हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के धौलाधार परिसर में सीबीपी के तहत चल रही है कार्यशाला
  • डा. जगमीत बावा और डा. जेएस सकलानी ने प्रतिभागियों को किया संबोधित

इंडिया न्यूज, धर्मशाला।

Professors Learned The Importance of Social Science Research : हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (Himachal Pradesh Central University) के धौलाधार परिसर-1 में कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।

केंद्रीय विश्वविद्यालय का शिक्षा विभाग भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा वित्त पोषित कैपेसटी बिल्डिंग प्रोग्राम के तहत इस कार्यशाला का आयोजन कर रहा है।

2 सप्ताह तक चलने वाली इस कार्यशाला का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सतप्रकाश बंसल (Vice Chancellor Prof. Satprakash Bansal) ने किया था। कार्यशाला के दूसरे दिन बुधवार को 3 सत्र आयोजित किए गए।

वहीं, चौथे सत्र में प्रतिभागियों ने फील्ड वर्क एजुकेशन के तहत कांगड़ा मंदिर का दौरा किया। इस कार्यशाला में 8 राज्यों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।

कार्यशाला के दूसरे दिन डा. जगमीत बावा ने 2 सत्र लिए। पहले सत्र में उन्होंने बुनियादी शब्दावली और सामाजिक विज्ञान अनुसंधान की प्रकृति के बारे में परिचय दिया।

उन्होंने शोध का परिचय देते हुए सामाजिक विज्ञान अनुसंधान के बारे में जानकारी दी। यह सामाजिक विज्ञान अनुसंधान अन्य क्षेत्रों के शोध से कैसे भिन्न है, इसके बारे में जानकारी दी।

वहीं, सामाजिक विज्ञान अनुसंधान की आवश्यकता के बारे में जानकारी दी। इस क्षेत्र में अनुसंधान को लेकर शोधकर्ता की मानसिक रूप से तैयारी के बारे में जानकारी दी।

वहीं, दूसरे सत्र में उन्होंने डाटा संग्रह स्टेटर्जी के रूप में इंटरव्यू, शेड्यूल तैयार करना, इसकी आचरण सीमाओं और सावधानियों के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने इस सत्र में 2 तरह की रिसर्च इंटरव्यू और शेड्यूल के बारे में जानकारी दी। उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि दोनों तरह के शोध कहां-कहां अपनाए जा सकते हैं।

किन हालात में इन्हें अपनाकर शोध कार्य के बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं, इसकी जानकारी दी। उन्होंने प्रतिभागियों को उन क्षेत्रों के बारे में भी बताया जहां पर शोध के इन दोनों प्रकारों को अपनाया नहीं जा सकता।

दोनों तरह के शोध कार्यों को करने से पहले कौन-सी तैयारी करनी चाहिए जिससे शोध का परिणाम बेहतर हो इसके बारे में जानकारी दी।

वहीं, तीसरे सत्र में डा. जेएस सकलानी ने अकादमिक लेखन में अनुसंधान नैतिकता के बारे में अपने विचार रखे। उन्होंने प्रतिभागियों को अकादमिक लेखन के बारे में जानकारी दी।

इसके बाद फील्ड वर्क एजुकेशन के तहत प्रतिभागियों ने कांगड़ा मंदिर का दौरा किया। Professors Learned The Importance of Social Science Research

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