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Sikkim’s Agriculture Minister appreciates CSIR-IHBT’s efforts on pearl farming. सिक्किम के कृषि मंत्री ने मोती की खेती पर सीएसआईआर.आईएचबीटी के प्रयासों की सराहना की

• LAST UPDATED : February 19, 2022

सिक्किम के कृषि मंत्री ने मोती की खेती पर सीएसआईआर-आईएचबीटी के प्रयासों की सराहना की।
पालमपुर।
लोक नाथ शर्मा, माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बागवानी, पशुपालन और पशु चिकित्सा सेवाएं, सूचना और जनसंपर्क, मुद्रण और स्टेशनरी विभाग, सिक्किम सरकार के साथ भीम लाल दहल, अतिरिक्त निदेशक, बागवानी ने सीएसआईआर- हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर, हिमाचल प्रदेश का दौरा किया।
लोक नाथ शर्मा ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को उच्च-स्तर अनुसंधान आधारित प्रौद्योगिकियों के विकास से बढ़ावा देने के लिए संस्थान द्वारा किए गए योगदान की सराहना की। उन्होंने अपने संबोधन के दौरान, सिक्किम में एक सीएसआईआर-आईएचबीटी केंद्र स्थापित करने के लिए गहरी रुचि दिखाई, ताकि संस्थान द्वारा विकसित प्रासंगिक प्रौद्योगिकियों को जल्द से जल्द प्रयोग में लाया जा सके। साथ ही, प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रमों से वहाँ चल रही परियोजनाओं को और अधिक मजबूत मिल सके। उन्होने हींग, केसर, मौंक फल और दालचीनी की खेती के आरंभ के अलावा, जल-कृषि एकीकृत मोती की खेती शुरू करने के लिए सीएसआईआर-आईएचबीटी के प्रयासों को सराहा। उन्होंने ने कहा कि सीएसआईआर-आईएचबीटी की उनकी यात्रा हाइड्रोपोनिक्स और एरोपोनिक्स, हींग, केसर, सुगंधित – औषधीय पौधों एवं फूलों की खेती तथा खाद्य प्रसंस्करण सहित विभिन्न पहलुओं पर आपसी सहयोग को और मजबूत मिलेगी,जो किसानों, बेरोजगार युवाओं के क्षमता निर्माण और उद्यमिता विकास में मदद करेगी। उन्होंने प्रदेश में आम आदमी के उत्थान में सफल श्मुख्यमंत्री कृषि आत्मानिर्भर योजनाश्, श्मुख्यमंत्री पशुधन समृद्धि योजनाश् और श्मुख्यमंत्री मत्स्य उत्पादन योजनाश् जैसी चल रही परियोजनाओं की के बारे में भी बताया। जिन के चलते,सिक्किम देश का पहला जैविक राज्य बना है। माननीय मंत्री ने सुगंधित, औषधीय और फूलों की खेती, तथा संस्थान में स्थापित खाद्य प्रसंस्करण, पायलट-स्केल हर्बल प्रसंस्करण, एरोपोनिक और हाइड्रोपोनिक जैसे सुविधाओं का भी दौरा किया।
डॉ संजय कुमार, निदेशक, सीएसआईआर-आईएचबीटी ने माननीय मंत्री जीको संस्थान की प्रमुख उपलब्धियों एवं अनुसंधान गतिविधियों की बारे में भी विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा जंगली गेंदा, डैमस्क गुलाब, लेमन ग्रास आदि जैसे संसाधनों की खेती और प्रसंस्करण के लिए विकसत प्रौद्योगिकि,किसानों को आत्मनिर्भरता और पारंपरिक फसलों की तुलना में अधिक आय प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने बताया कि सीएसआईआर-आईएचबीटी, पूर्वोत्तर राज्यों के साथ मिलकर कई परियोजनाओं जैसे कि श्पारंपरिक उद्योगों के पुनर्जनन के लिए निधि की योजना (एसएफयूआरटीआई) के तहत क्लस्टर विकसित करके विटामिन डी-2 समृद्ध शीटाके मशरूम और वर्मीकम्पोस्टिंग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) – अपशिष्ट प्रबंधन प्रौद्योगिकी (डब्ल्यूएमटी) के तहत एनारोबिक बायोगैस संयंत्र स्थापना और सीएसआईआर अरोमा मिशन के तहत आवश्यक तेल प्रसंस्करण इकाई की स्थापनाके लिए काफी समय से काम कर रहा है।डॉ कुमार ने बताया कि सीएसआईआर-आईएचबीटी ने हिमाचल प्रदेश में पहली बार ताजे पानी के मसल्स का उपयोग करते हुए मोती संवर्धन पर अनुसंधान और विकास कार्य शुरू कीया है। जिसका एकमात्र उदेश्य मोती की खेती को बढ़ावा देने और प्रशिक्षण एवं कौशल विकास के माध्यम से इस उच्च आय पैदा करने वाले उद्यम में किसानों, उद्यमियों ध् स्टार्टअप को सुविधा प्रदान करना है।
दौरे के दौरान, सीएसआईआर-आईएचबीटी और बागवानी विभाग, सिक्किम सरकार के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए गए। इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य सीएसआईआर-आईएचबीटी में विकसित प्रौद्योगिकियों को नियोजित कर के सिक्किम के लोगों के लिए अधिक आजीविका वाले नए विकल्प प्रदान करना और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना है।

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