होम / परम पावन दलाई लामा की लंबी उम्र के लिए तिब्बती मंदिर शुगला खांग में विशेष प्रार्थना का आयोजन

परम पावन दलाई लामा की लंबी उम्र के लिए तिब्बती मंदिर शुगला खांग में विशेष प्रार्थना का आयोजन

• LAST UPDATED : September 8, 2022

परम पावन दलाई लामा की लंबी उम्र के लिए तिब्बती मंदिर शुगला खांग में विशेष प्रार्थना का आयोजन

इंडिया न्यूज, धर्मशाला (Dharamshala – Himachal Pradesh)

धर्मशाला के मुख्य तिब्बती मंदिर शुगला खांग में परम पावन दलाई लामा की लंबी उम्र के लिए पांच संगठन जिनमें तेंदोंग कल्चरल प्रिजर्वेशन सोसाइटी (मोन), इंटरनेशनल जोनांग वेल-बीइंग एसोसिएशन, डोमी-मंग-भा-जा-सम एसोसिएशन, नामग्याल हायर सेकेंडरी स्कूल, नेपाल और सिडनी तिब्बती एसोसिएशन आदि द्वारा सयुंक्त रूप से प्रार्थना की।

म्ंदिर में उपस्थित निर्वासित तिब्बतीयों व अन्य को संबोधित करते हुए परम पावन दलाई लामा ने कहा, ’’मेरे पास बोधिचित्त के जाग्रत चित्त का एक अनुकरणीय अनुभव है। मैं इस श्लोक में व्यक्त की गई इच्छा को हर दिन नवीनीकृत करता हूं,

जब तक अंतरिक्ष बना रहता है,
और जब तक सत्व जीवित रहते हैं,
तब तक, मैं भी दुनिया के दुखों को दूर करने में मदद करने के लिए बना रहूं।

उन्होने कहा कि ’’मैं दलाई लामाओं के वंश से संबंधित हूं और हिमालय क्षेत्र के लोगों के साथ एक मजबूत संबंध है। मैं हाल ही में लद्दाख में था और मुझे उम्मीद है कि मैं जल्द ही मोन तवांग की फिर से यात्रा करूंगा।

उन्होने कहा कि ’’इस जीवन में ही मैं धर्म और सत्वों की सेवा करने में सक्षम हुआ हूं और मैं लंबे समय तक जीने का दृढ़ संकल्प करता हूं ताकि मैं ऐसा करना जारी रख सकूं। मुझे लगता है कि मैं 10 से 20 साल और जी सकता हूं। मुझे पैसे या प्रसिद्धि की परवाह नहीं है, केवल दूसरों को लाभ पहुंचाने में सक्षम होने के साथ और इसी वजह से मैं लंबे समय तक जीने की प्रार्थना करता हूं। आज जो प्रार्थना की जा रही है उसमें आर्य तारा शामिल है और मैं उसके मंत्र को हर दिन दीर्घायु के लिए कहता हूं।

उन्होने कहा कि उनकी अभी हाल में हुई ’’लद्दाख और जांस्कर की यात्रा के दौरान मैं वहां के लोगों के विश्वास से प्रभावित हुआ। तिब्बत में तिब्बती भी अपनी भक्ति में अडिग हैं, लेकिन वे दमनकारी परिस्थितियों में जी रहे हैं। इस बीच, चीन में बड़ी संख्या में लोग बौद्ध धर्म में रुचि ले रहे हैं और यहाँ तक कि चीनी अधिकारी भी यह मानने लगे हैं कि मैं वह प्रतिक्रियावादी नहीं हूँ जो वे मुझे बताते हैं। वास्तव में, तिब्बत में, यह केवल मनुष्यों की बात नहीं है, ऐसी आत्माएँ और देवता हैं जो मुझ पर विश्वास करते हैं क्योंकि मैं दूसरों के लाभ के लिए बोधिचित्त के अपने प्रयासों में दृढ़ हूँ।’’

SHARE
ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT
mail logo

Subscribe to receive the day's headlines from India News straight in your inbox