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मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञ डॉक्टरों के सामूहिक अवकाश पर चले जाने से बढ़ी मरीजों की परेशानी

• LAST UPDATED : October 4, 2022

इंडिया न्यूज, शिमला, (Specialist Doctors Going On Mass Leave) : हिमाचल में मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञ डॉक्टरों के सामूहिक अवकाश पर चले जाने से मरीजों की काफी परेशानी बढ़ गई है। मेडिकल कॉलेजों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होने से मरीजों का समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है।

मंगलवार सुबह से डॉक्टर न तो ओपीडी में बैठे और न ही मरीजों के ऑपरेशन किए गए। आज डॉक्टर सिर्फ आपातकालीन सेवाएं ही दिये। डॉक्टर फील्ड में तैनात विशेषज्ञ डॉक्टरों की तर्ज पर अकादमिक भत्ते की मांग कर रहे हैं। डॉक्टरों की मांग सरकार की ओर से न मानने पर डॉक्टरों ने सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला लिया है। इनके इस फैसले से स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है।

मेडिकल कॉलेजों में तैनात डॉक्टरों की संख्या 500 से हैं ज्यादा

प्रदेश में आईजीएमसी शिमला, नाहन, टांडा, नेरचौक, चंबा और हमीरपुर में मेडिकल कॉलेज हैं। स्टेट मेडिकल और डेंटल कॉलेज अध्यापन एसोसिएशन (सेमडिकोट) के अध्यक्ष डॉ. राजेश सूद ने बताया कि हिमाचल में मेडिकल कॉलेजों में तैनात विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या 500 से ज्यादा है।

मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों को दे दी गई हैं सूचना

डॉक्टरों ने इसकी सूचना मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों को दे दी है। प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) में इलाज करवाने आने वाले मरीजों को वरिष्ठ डॉक्टरों की सेवाएं नहीं मिल रही है। डॉक्टरों के अवकाश पर चले जाने से सबसे अधिक परेशानी उन मरीजों हुई हैं, जिनके ऑपरेशन होने थे।

आईजीएमसी के 250 वरिष्ठ डॉक्टर सामूहिक अवकाश पर हैं। वरिष्ठ डॉक्टरों के सामूहिक अवकाश पर चले जाने से आज रूटीन के करीब 55 ऑपरेशन नहीं हुए। दूरदराज के क्षेत्रों से हर्निया, गाल ब्लेडर, हाथ, बाजू, टांग, आंखों, ईएनटी संबंधी बीमारियों के ऑपरेशन करवाने आने वाले मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।

रोजाना 3,000 से अधिक मरीजों की होती है ओपीडी

इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) में रोजाना 3,000 से अधिक मरीजों की ओपीडी होती है। इनमें कंसलटेंट डॉक्टरों के साथ सीनियर और जूनियर डॉक्टर अपने अपने काम करते है। लेकिन मंगलवार को सीनियर और जूनियर डॉक्टरों ने ही यह काम संभाला। ओपीडी में चेकअप के बाद हर रोज करीब 100 से अधिक मरीज अस्पताल में दाखिल किए जाते हैं।

आईजीएमसी आरडीए (रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन) के अध्यक्ष डॉ. मनोज मैतान ने बताया कि वह 4 अक्तूबर तक सरकार के पक्ष को देखेंगे। इसके बावजूद भी अगर सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती तो आरडीए भी सेमडिकोट के पक्ष में हर रोज दो से तीन घंटे की हड़ताल शुरू कर देगी। डॉ. मनोज मैतान के इस कथन से आने वाले दिनों में मरीजों की समस्या और बढ़ेगी।

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