India News(इंडिया न्यूज़), Brihaspati: हिंदू धर्म के अनुसार एक सप्ताह का हर दिन किसी भगवान को अर्पित कियाा गया है। जिसके मुताबिक गुरुवार का दिन बृहस्पति देव को अर्पण किया गया है। इस कारम इसे बृस्पतिवार भी कहा जाता है। देखा जाए तो इस बृहस्पति देव के साथ साथ भगवान विष्णु को भी पूजा जाता है।
वहीं, बृहस्पति देव को न सिर्फ ज्योतिष दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है बल्कि धर्म ग्रंथों में भी उनका बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। बृहस्पति को ज्ञान तथा सौभाग्य का देवता माना गया है।
कैसे हुई बृहस्पति की उत्पत्ति?
- पौराणिक कथा के मुताबिक, प्राचीन सामी में एक महान ऋषि थे जिनका नाम था महर्षि अंगिरा था। महर्षि के पास अथाह तपोबल था परंतु संतान न होने की वजह से वह बहुत विचलित रहते थे।
- वहीं, उनकी पत्नी भी संतान प्राप्ति के लिए कई प्रयास कर चुकी थीं। जब परिस्थिति के आगे महर्षि एवं उनकी पत्नी हारने लगे तब अंगिरा ऋषि की पत्नी द्वारा ब्रह्म देव की अखंड तपस्या करने का फैसला लिया गया।
- महर्षि की पत्नी द्वारा घोर तप कर ब्रह्म देव को प्रसन्न करा गया। ब्रह्म देव द्वारा महर्षि अंगिरा की पत्नी को एक व्रत बताया गया। जिसके पालन से उन्हें संतान का सुख प्राप्त हो सकता था। वो व्रत पुंसवन व्रत था।
- महर्षि की पत्नी द्वारा नियमों का पूर्ण रूप से पालन करा गया। इस व्रत का संकल्प पूरा किया। व्रत के शुभ प्रभाव से ऋषि अंगिरा और उनकी पत्नी को एक तेजस्वी संतान प्राप्त हुई जो बृहस्पति के नाम से जाने गए।
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