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Devotion: शनिदेव के ऐसे 10 रहस्य जो कर देंगे आपको हैरान, जानें क्या है वो राज

• LAST UPDATED : October 14, 2023

India News (इंडिया न्यूज), Devotion: पुराणों के मुताबिक शनि को परम शक्ति परमपिता परमात्मा की द्वारा  तीनों लोकों का न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। शनि देव ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश को भी उनके किए की सजा दे सकते हैं। ब्रह्मांड में स्थित तमाम देवी देवताओं या इंसानों को भी शनि देव के क्रोध का शिकार होना पड़ता है। लेकिन यह भी सच है कि हनुमान जी के आगे शनि देव की नहीं चलती वे हनुमान जी को दिए वचनानुसार हनुमान भक्तों को हमेशा क्षमा प्रदान करते है।

  • पुराण के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय करता है, तो वह शनि देव की वक्र दृष्टि से बच नहीं सकेगा। शराब पीने वाले, मांस खाने वाले, ब्याज लेने वाले, परस्त्री के साथ व्यभिचार करने वाले और ताकत के बल पर किसी के साथ अन्याय करने वाले का शनि देव 100 जन्मों तक पीछा नहीं छोड़ते।
  • शनि देव के सर पर स्वर्ण मुकुट, गले में माला तथा शरीर पर नीले रंग के वस्त्र और इंद्रनीलमाणी किस सामान। यह कभी कौवे तथा कभी-कभी गिध्द पर सवार होते हैं। उनके हाथों में धनुष, बाण, त्रिशूल हमेशा रहता है।
  • शनि को सूर्य का पुत्र भी कहा जाता है। विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा व्यवस्था सूर्य की पत्नी हुई। उसके गर्भ से सूर्य द्वारा तीन संताने उत्पन्न की गई थी। जिनमें एक कन्या और दो पुत्र थे। सबसे पहले प्रजापति श्रद्धा देवथे जिन्होंने व्यवस्था मनु कहते थे। वह उत्पन्न हुए उसके बाद यमु और यमुना यह जुड़वी संताने हुई थी। भगवान सूर्य की दूसरी पत्नी छाया थी। छाया को संज्ञा की छाया ही माना जाता है। छाया से ही शनिदेव का जन्म हुआ सूर्यपुत्र कर्ण भी शनिदेव के भाई हैं।
  • पुराण का कहना है कि वैसे तो शनि देव के संबंध में कई विरोध भाषिक कथाएं मिल जाएगी। परंतु ब्रह्मपुराण के मुताबिक, उनके पिता द्वारा चित्र रथ की कन्या से इनका विवाह कर दिया गया था। उनकी पत्नी परम तेजस्विनी थी। एक रात वे पुत्र प्राप्ति की इच्छा से उनके पास पहुंची पर यह विश्व विष्णु के ध्यान में मग्न थे। पत्नी प्रतिक्षा करके थक गई। उनका रितु काल निष्फल हो गया। इसलिए पत्नी द्वारा क्रोधित होकर शनि देव को श्राप दे दिया गया कि आज से जिसे वह देखेंगे वह नष्ट हो जाएगा। लेकिन बाद में पत्नी को अपनी भूल पर पश्चाताप हुआ। किंतु शराब से प्रतिकार की शक्ति उसमें ना थी। तभी से शनि देवता अपना सिर नीचा करके रहने लगे क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि उनके द्वारा किसी का अनिष्ट हो।
  • शनि की दृष्टि एक बार शिव पर पड़ी तो उनको बैल बनकर जंगल जंगल भटकना पड़ा था। रावण पर पड़ी तो उनको भी आस है बनाकर मौत की शरण में जाना पड़ गया। अगर भगवान शनि किसी को क्रोधित होकर देख ले तो समझो उसका बनता ढाल। केवल हनुमान जी ही है। जो शनि देव के इस प्रकोप से बच सकते हैं, साथ ही वह अपने भक्तों को भी उनके इस असर से बचा लेते हैं।
  • एक बार अहंकारी लंका पति रावण द्वारा शनिदेव को कैद कर लिया गया था। इसके बाद उन्हें लंका में एक जेल में डाल दिया गया जब तक हनुमान जी लंका नहीं पहुंचे तब तक शनिदेव इस जेल में गए थे जब हनुमान जी सीता मैया की खोज में लंका में आए तब मां जानकी को खुश से खुश थे उन्हें भगवान शनि देव जेल में कैद मिले थे हनुमान जी द्वारा तब शनि भगवान को कैद से मुक्त कर गया था मुक्ति के बाद शनि देव ने हनुमान जी को धन्यवाद कहा और उनके भक्तों पर विशेष कृपा बनाए रखने का वचन दिया था।
  • शनि देव के अन्य नाम- यामागराज छाया आत्मक नीलगाय क्रूर कुषाण कपिलक्ष आकाश सुमन सॉरी और पंगु अतियादी है।
  • शरीर में सभी नौ ग्रहों के तत्व मौजूद रहते हैं गृह तथा डी में फर्क होता है लेकिन देवी या देवता ग्रहण के गृहपति माने जाते हैं जिस कारण प्राचीन काल में सभी के कार्य नियुक्त कर दिए गए थे माना जाता है कि सूर्य राजा बंधु मित्र बुद्ध मंत्री मंगल सेनापति शनि न्यायाधीश और राहु केतु प्रशंसक है इसी प्रकार गुरु अच्छे मार्ग के प्रदर्शन चंद्र माता और मां का प्रदर्शन शुक्र है पति के लिए पत्नी और पत्नी के लिए पति तथा वीर्य बल जब समाज में किसी व्यक्ति के हाथों अपराध हो जाता है तो शनि के आदेश अनुसार राहु और केतु उसे दंड देने के लिए सक्रिय हो जाते हैं शनि की कोर्ट में दंड पहले दिया जाता है उसके बाद मुकाम मुकदमा चलाया जाता है यदि इस व्यक्ति को चाल चलन ठीक रहे तो दंड की अवधि बिकने के बाद इसे फिर खुशहाल कर दिया जाता है नहीं तो नहीं।
  • महाराष्ट्र का शिंगणापुर गांव का शनि मंदिर मध्य प्रदेश के ग्वालियर के पास शनिचरा मंदिर उत्तर प्रदेश के कोसी के पास कोकिला वन में सिद्ध शनि देव का मंदिर काफी प्रसिद्ध माने जाते हैं।

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