India News (इंडिया न्यूज़) Dharam: भगवान परशुराम का नाम आते ही लोगों के मन में उनका फरसे के साथ एक क्रोधित व्यक्तित्व वाला प्रतिबिम्ब बन जाता है। रामयाण काल से लेकर द्वापर काल (कृष्ण काल) तक सृष्टि में होने वाले सभी विशेष घटना क्रम में भगवान परशुराम की विशेष भुमिका रही है। परशुराम को भगवान विष्णु का छटा अवतार भी माना जाता है। भारत में हर वर्ष अक्षय तृतिया के दिन भगवान परशुराम को याद करते हुए उनकी जयंती भी मनाई जाती है। परशुराम का जन्म अक्षय तृतिया के दिन हुआ था। मालूम हो कि इस साल हिंदू धर्म का अक्षय तृतीय का दिन 22 अप्रैल को पड़ेगा।
परशुराम के पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था। उनके पिता ऋषि जमग्नि के सिद्ध ऋषि थे। माता-पिता के सबसे छोटे पुत्र परशुराम को अपने पिता से काफी अधिक लगाव था। शास्त्रों में बताया गया है कि परशुराम का क्रोध इतना विकराल था कि क्षत्रिय राजा कर्ताविर्य के द्वारा उनके पिता की हत्या के बाद उन्होंने कोधित होकर 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिया से खाली किया था। इसके अलावा भी शिवपुराण, रामायण और महाभारत जहां भी परशुराम का जिक्र हुआ है, वहां उनकी भुमिका क्रोधित ही रही है। वहीं पौराणिक कथाओं के अनुसार, परशुराम ने पिता के कहने पर परशुराम ने अपनी माता की हत्या भी कर दि थी।
पौराणिक काथाओं के अनुसार, परशुराम के पिता प्रातः अपनी दिनचर्या के अनुसार ध्यान-कार्य किया करते थे। उधर, उनकी माता रेणुका नदी से जल लेने गई थी। प्रातः उन्होंने नदी में गंधर्वराज चित्ररथ को जल की अप्सराओं के साथ देखा। उन्हें देख उनके मन में विकार पैदा हो गया और वो वहां पर कुछ देर के लिए रूक गई। वहीं, कुछ देर बाद उन्हें याद आया कि उनके पति का यज्ञ करने का समय हो गया है।
माता रेणुका जैसे ही घर पंहुची, उनके पति ऋषि जमदग्नि अपने तपोबल से उनके मन में आए विकार को समझ गए। जिसके बाद वो अत्यत क्रोधित हुए। क्रोध में उन्होंने अपने तीनों पुत्रों में सबसे बड़े पुत्र से माता की हत्या करने का आदेश दिया। इस कार्य को घौर पाप मानते हुए उनके बड़े पुत्र और उससे छोटे पुत्र ऐसा करने से इनकार कर दिया। इसके बाद सबसे छोटे पुत्र परशुराम से माता की हत्या करने के लिए कहा, और साथ ही पिता की आज्ञा का पालन ना करने से क्रोधित होकर दोनों भाईयों की हत्या करने का भी आदेश दिया। इस पर पिता की आज्ञा कर पालन करते हुए परशुराम ने अपनी माता और भाईयों की हत्या कर दी। पिता की आज्ञा मानते हुए संसार का घौर पाप को करने के लिए तैयार हो जाने से ऋषि जमदग्नि परशुराम से अतियंत प्रसन्न हुए। इसके बाद उन्होंने परशुराम से कोई वरदान मांगने के लिए कहा। इस पर परशुराम ने अपने पिता से माता और भाईयो को पुनः जीवित करने वर मांगा और साथ ही कहा कि ये सभी ऐसे जीवित हो जाए कि जैसे कोई सोने के बाद उठता है। उनके पिता ने आशीर्वाद देते हुए उनकी माता और भाईयों को पुनः जीवित कर दिया।
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