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Ganesh Ji: गणेश जी की पूजा में ये चमत्कारी स्त्रोत करेगा कमाल, सभी दुखों से मिलेगा छुटकारा

• LAST UPDATED : December 20, 2023

India News (इंडिया न्यूज़), Ganesh Ji: हिंदू धर्म में बुधवार के दिन गजानंद की पूजा करना अति शुभ माना गया है। केवल इतना ही नहीं अकसर ही किसी भी शुभ काम की शुरुआत में सबसे पहले गणपति बाप्पा को ही पूजा जाता है। इस दिन गजानंद की पूजा- अर्चना से होकर गणपति जी अपने भक्तों के सारे दुख हर लेते है। यदि आप किसी विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्त करने के लिए व्रत रखा जाता है। विघनहर्ता की पूजा करने से भक्तों को मनोवांछित फल प्राप्त होता है। इस दिन बप्पा की पूजा करने से भक्तों के सारे दुख, संकट और कष्ट दूर हो जाते हैं।

गणेश मंगलाष्टक

गजाननाय गांगेय सहजाय सर्दात्मने, गौरी प्रियतनूजाय गणेषयास्तु मंगलम।।

नागयज्ञोपवीताय नतविध्न विनाशिने, नन्द्यादिगणनाथाय नायाकायास्तु मंगलम।।

इभवक्त्राय चंद्रादिवन्दिताय चिदात्मने, ईशान प्रेमपात्राय चेष्टादायास्तु मंगलम।।

सुमुखाय सुशुन्डाग्रोक्षिप्तामृत घटाय च, सुखरींदनिवे व्यय सुखदायास्तु मंगलम।।

चतुर्भुजाय चन्द्राय विलसन्मस्तकाय च, चरणावनतानन्ततारणायास्तु मंगलम।।

वक्रतुण्डाय वटवे वन्धाय वरदाय च, विरूपाक्षसुतायास्तु विघ्ननाशाय मंगलम।।

प्रमोदामोदरूपाय सिद्धिविज्ञानरुपिणे,  प्रकृष्टपापनाशाय फलदायास्तु मंगलम।।

मंगलं गणनाथाय मंगलं हरसूनवे, मंगलं विघ्नराजाय विघ्न हत्रेंस्तु मंगलम।।

श्लोकाष्टकमि पुण्यं मंगलप्रदमादरा, पठितव्यं प्रयत्नेन सर्वविघ्ननिवृत्तये ।।

गणेश अष्टकम

चतुःषष्टिकोट्याख्यविद्याप्रदं त्वां सुराचार्यविद्याप्रदानापदानम् ।

कठाभीष्टविद्यार्पकं दन्तयुग्मं कविं बुद्धिनाथं कवीनां नमामि ॥

स्वनाथं प्रधानं महाविघ्ननाथं निजेच्छाविसृष्टाण्डवृन्देशनाथम् ।

प्रभु दक्षिणास्यस्य विद्याप्रदं त्वां कविं बुद्धिनाथं कवीनां नमामि ॥

विभो व्यासशिष्यादिविद्याविशिष्टप्रियानेकविद्याप्रदातारमाद्यम् ।

महाशाक्तदीक्षागुरुं श्रेष्ठदं त्वां कविं बुद्धिनाथं कवीनां नमामि ॥

विधात्रे त्रयीमुख्यवेदांश्च योगं महाविष्णवे चागमाञ् शङ्कराय ।

दिशन्तं च सूर्याय विद्यारहस्यं कविं बुद्धिनाथं कवीनां नमामि ॥

महाबुद्धिपुत्राय चैकं पुराणं दिशन्तं गजास्यस्य माहात्म्ययुक्तम् ।

निजज्ञानशक्त्या समेतं पुराणं कविं बुद्धिनाथं कवीनां नमामि ॥

त्रयीशीर्षसारं रुचानेकमारं रमाबुद्धिदारं परं ब्रह्मपारम् ।

सुरस्तोमकायं गणौघाधिनाथं कविं बुद्धिनाथं कवीनां नमामि ॥

चिदानन्दरूपं मुनिध्येयरूपं गुणातीतमीशं सुरेशं गणेशम् ।

धरानन्दलोकादिवासप्रियं त्वां कविं बुद्धिनाथं कवीनां नमामि ॥

अनेकप्रतारं सुरक्ताब्जहारं परं निर्गुणं विश्वसद्ब्रह्मरूपम् ।

महावाक्यसन्दोहतात्पर्यमूर्तिं कविं बुद्धिनाथं कवीनां नमामि ॥

इदं ये तु कव्यष्टकं भक्तियुक्तात्रिसन्ध्यं पठन्ते गजास्यं स्मरन्तः ।

कवित्वं सुवाक्यार्थमत्यद्भुतं ते लभन्ते प्रसादाद् गणेशस्य मुक्तिम् ॥

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