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Gurunanak Jayanti: जीवन में चाहिए सफलता, तो गुरु नानक की इन बातों का रखें ध्यान

• LAST UPDATED : November 27, 2023

India News(इंडिया न्यूज़),Gurunanak Jayanti: हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक की जयंती मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है गुरु नानक देव जी के जीवन से जुड़े किस्सों में सुखी और सफल जीवन के सूत्र छिपे हैं। अगर आप इन सूत्रों को अपने जीवन में उतार लेते हैं,आप सुख-शांति के साथ ही सफलता भी हासिल करते हैं। तो आइये जानते हैं गुरु नानक से जुड़े प्रेरक किस्से…

पहला किस्सा – काम हमेशा ईमानदारी से करें …
दूसरा किस्सा – अच्छाई को ज्यादा से ज्यादा लोग पहुंचाएं …
तीसरा किस्सा – बुरी आदतें छोड़ने के लिए संकल्प मजबूत होना चाहिए

इस कहानी के जरिए हो गुरु नानक से प्रेरित

एक दिन गुरु नानक के पास एक गांव का जमींदार पहुंचा। जमींदार गुरु नानक के लिए भोजन लेकर आया था। तब गुरु नानक ने जमींदार से कहा कि भोजन यहां रख दीजिए। लेकिन जमींदार बोला कि मैं आपको खाना परोसना चाहता हूं। कृपया आप खाना खा लीजिए। वहीँ, एक बार फिर नानक जी ने उसे कुछ देर रुकने के लिए कहा। उसी समय वहां एक गरीब व्यक्ति आया। उसने गुरु नानक से कहा कि मैं आपके लिए रोटी लेकर आया हूं।
जमींदार ने उसकी ओर देखकर कहा कि खाना तो आ चुका है, तुम ये रोटी वापस लेकर जाओ। हालाँकि,नानक जी ने कहा कि नहीं, खाने का अपमान नहीं करना चाहिए ।उसके बाद जमींदार ने कहा कि मैं भी आपके लिए खाने की बहुत सारी चीजें लेकर आया हूं। मेरी थाली में रोटी के साथ ही अन्य पकवान भी हैं, मिठाई भी है।
जमींदार के जिद पर नानक जी कहा कि हम उसे भी चख लेंगे। उसके बाद नानक जी ने उस गरीब की आधी रोटी खा ली और आधी अपने हाथ में रख ली। ये देखकर जमींदार ने आपत्ति प्रकट हुए कहा कि आपने ये क्या किया? मेरा स्वादिष्ट भोजन छोड़कर इसकी साधारण रोटी खा ली। उसके बाद नानक जी ने गरीब की आधी रोटी को हाथों से मसला तो उसमें से दूध की बूंद गिरीं। इसके बाद नानक जी ने जमींदार की मिठाई को मसला तो उसमें खून की बूंद जमीन पर गिरीं।
वहां मौजूद लोग ये सब बहुत ध्यान से देख रहे थे। लोगों को यह भी मालूम था कि गुरु नानक बहुत ही दिव्य आत्मा हैं, वे ऐसे कमाल कर देते हैं। तब नानक जी ने उस जमींदार से कहा कि इसकी सूखी रोटी में ईमानदारी है और तुम्हारी मिठाई में कहीं न कहीं बेईमानी है। इसलिए मैंने इस गरीब की रोटी खाई और तुम्हारी मिठाई नहीं खाई।
गुरु नानक की बातें सुनकर जमींदार को अपनी गलती का एहसास हो गया और उसने नानक जी से माफी मांगी।

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