India News(इंडिया न्यूज़), Laxmi ji Sawari: हिंदू धर्म में शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित किया गया है। लक्ष्मी जी धन की देवी कहलाती है। वहीं अगर किसी व्यक्ति पर मां लक्ष्मी जी की कृपा हो जाए तो उसका जीवन सुख-संपत्ति से भर जाता है। देखा जाए तो हम सभी ने मां लक्ष्मी के समुद्र मंथनसे उत्पत्ति की कहानी सुनी ही है। परंतु क्या आप जानते है कि उल्लू लक्ष्मी के वाहन कैसे बना? इसी सवाल से जुड़ी एक बड़ी ही दिलचस्प कहानी हम आज आपको बताएंगे-
हिंदू धर्म ग्रंथो के मुताबिक जब संसार की रचना हुई, तब एक दिन सारे देवी-देवता धरती पर धूमने के लिए थे। उस समय धरती का चक्कर लगाते हुए सभी देवी-देवता अपने-अपने वाहनों का चुनाव कर रहे थे। परंतु उस वक्त मां लक्ष्मी काफी असमंजस में थी। वहीं अपनी सवारी का चुनाव करते हुए मां ने बहुत सोचा। जिस दौरान मां सोच में थी तब सारे पशु-पक्षी में मां का वाहन बनने की दौड़ शुरु होगई।
उस समय देवी लक्ष्मी द्वारा सारे पशु-पक्षियों को बताया गया कि वह कार्तिक अमावस्या पर धरती पर आएंगी। उस दिन वे अपने वाहन का चुनाव करेंगी। उनक कहना था कि उस समय जो भी पशु-पक्षी उनके पास सबसे पहले पहुंचा, वे उसे ही अपना चुन लेगी। कार्तिक अमावस्या पर सभी पशु-पक्षी बेसबरी से मां लक्ष्मी का इंतजार कर रह थे। उस अमावस्या की काली रात में जब देवी लक्ष्मी धरती पर पधारीं तब उस काले अंधेरे में केवल उल्लू को ही मां लक्ष्मी नजर आई। जिस कारण वो सबसे पहले मां तक पहुंचा। इसके वाक्य के बाद मां लक्ष्मी ने उल्लू को ही अपना वाहन चुन लिया। जिसके बाद मां लक्ष्मी को उलूक वाहिनी का नाम मिला।
उल्लू को लेकर हमारी संस्कृति में कई मान्यता है- कुछ लोग इसे धन संपत्ति का प्रतीक मानते है वहीं कुछ लोग इसे अशुभ भी मानते है। उल्लू के गुणों की बात करें तो इसकी दृष्टि बहुत तेज होती है। इसके पास रात में देख पाने की क्षमता है। नीरव उड़ान, शीतऋतु में भी इसकी उड़ने की सक्षमता के साथ-साथ सुनने की शक्ति भी अद्भुत है।
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