Stories Of Hanuman: जानिए पवन पुत्र हनुमान के अद्भूत किस्से

India News (इंडिया न्यूज़), Stories Of Hanuman: हनुमान जी जिन्हें कलयुग में सबसे लोकप्रिय देव माना जाता है। इन्हें पूरे भारत में पूजा जाता है। हनुमान जी बहुत शक्तिशाली एवं कर्तव्य निष्ठ है। ऐसा कहा जाता है कि हनुमान जी का जाप करने वाले के वह सारे संकट हरते हैा भूत, प्रेत एवं आत्माओं से भी उन्हें सुरक्षित रखते है। हिन्दू महा-ग्ंरथ रामायण में भी उनका प्रभु श्री राम के प्रति सेवा और भक्ति का भाव दर्शाते हुए देखा जा रहा है। हनुमानजी को भगवन शिव का अंश माना गया है। और वायु देव उनके पिता और अंजना उनकी माता के रूप में बताई गई है। कहा जाता है अंजना एक अप्सरा थी एक भूल वश ऋषि दुर्वासा ने उनको वानर बनने का श्राप दिया था। अंजना वानर राज गिरज की पुत्री बनी, और उनका विवाह सुमेरु पर्वत के वानर राज केसरी से हुवा। इसीलिए हनुमानजी को केसरी नंदन भी कहा जाता है।

हनुमानजी के जन्म की कहानी

कहानियों के मुताबिक, राजा दशरथ ने अपने पुत्रो की प्राप्ति के लिए यग्ज्ञ का आयोजन किया था। जिसके बाद यग्ज्ञ में से एक फल निकला। कहा जाता है कि उस फल को खाने से पुत्र की प्राप्ति होती है। फल के उत्पन्न होने के बाद तीनों रानियों ने उस फल को खाया। बाकि बचा हुआ फल एक पक्षी छीन के ले गयाष उसी वक्त अंजना एक पर्वत पे टहलने निकली थी। वह भी पुत्र प्राप्ति की लालसा कर रही थी।

उस ही समय वह पक्षी उस पर्वत पर फल फेक कर चला गया। तब वायु देव द्वारा उस फल को उठाकर अंजना को दे दिया गया। तब शिवजी ने प्रकट हो अंजना को आदेश दिया कि वह वो फल खाले।

अंजना ने कैकई से पक्षी द्वारा छिना हुआ वो फल खा लिया गया। उसे खाते समय उन्होंने हनुमान जी की कामना करी। उस ही फल का उपभोग कर अंजडना ने हनुमान जी को जन्म दिया। इसलिए, श्री राम उन्हें भरत के समान ही मानते है।

जब हनुमान जी ने कीया था सूर्य को निगलने का प्रयास

एक बार हनुमान जी के बालावस्था में वह बहुत भूखे थे। उन्हें आसपास खाने को कुछ ढुंडा परंतु उन्हें कुछ ना मिला। तब उन्होंने उपर आसमान में सूर्य को देखा। सूर्य को उनके नन्हें मन ने फल समझा, और उन्होंने सूर्य की ओर बढ़ना शुरु किया। जैसे-जैसे उनकी नजदीकी सूर्य से बढ़ रही थी; वैसे-वैसे वह अपना आकर भी बड़ा कर रहे थे। जब राहु का ध्यान पड़ा की कोई शक्ति सूर्य के नजदीक आ रही है। उन्होंने तुरंत इंद्र देव को सहायता के लिए पुकारा। तब इंद्र देव द्वारा हनुमान जी को रोकने की कोशिश की गई। परंतु बजरंगबली कहा किसी की सुनते है। तब इंद्र देव ने वज्र से हनुमान जी पर प्रहार करा, और हनुमान जी मूर्छित होकर नीचे गिर गए।

यह बात जब उनके पिता पवन देव को पता चली तब वह बहुत क्रोधित हुए। उन्होंने सृष्टि के वायु चक्र की गति को बंद कर दिया। अचानक से हवा रुक गई और सभी जीवों का दम घुटने लगा। देवताओं को चिंता हुई की इस प्रकार वायु के थम जाने से तीनों लोकों में गति रुक जाएंगी।

 

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Soumya Madaan

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