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HP Vidhan Sabha: हिमाचल में सभी होम स्टे, बेड एंड ब्रेकफास्ट इकाइयों को एक बार फिर कराना होगा पंजीकरण, अमेन्ड्मन्ट बील पेश

• LAST UPDATED : December 21, 2023

India News (इंडिया न्यूज़), HP Vidhan Sabha: हिमाचल प्रदेश में सभी होमस्टे एवं बेड एंड ब्रेकफास्ट को एक बार फिर पंजीकरण करवाना पड़ेगा। बिना पंजीकरण के यह इकाइयां अवैध कहलाएंगी। अवैध रूप से चलने वाली इकाइयों पर राज्य सरकार सख्त कदम उठा सकती है। CM सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा विधानसभा में हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास, रजिस्ट्रीकरण संशोधन विधेयक 2023 पेश किया गया है। विधायक अधिसूचित होने के 30 दिन के अंदर अंदर सभी इकाइयों को अपना पंजीकरण आवेदन भरना होगा। आवेदन करने वाली इकाइयों को उनके मौजूदा पंजीकरण लाइसेंस की अवधि खत्म होने से पहले शुल्क का भुगतान नहीं करना पड़ेगा।

सरकार ने तय किया है की इकाइयों का लाइसेंस खत्म होने के बाद उनके द्वारा पंजीकरण शुल्क अदा किया जाएगा। पर्यटन इकाइयों को पंजीकरण में सभी महत्वपूर्ण दस्तावेजों एवं बाकी औपचारिकताओं को 90 दिनों के अंदर-अंदर पूर्ण करना होगा। बता दें की होमस्टे प्रदेश सरकार एवं बेड एंड ब्रेकफास्ट केंद्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय की योजना के चलते खुले जाते है। आने वाले दिनों में योजनाओं के अंतर्गत पर्यटकों को ठहरने पर होटल की तरह किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं देना पड़ेगा। पर्यटन विकास एवं पंजीकरण कानून 2002 के चलते गैर पंजीकरण वाली इकाइयों के संचालकों को 6 महीने तक की सजा एवं 10,000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान था। सरकार द्वारा संशोधन विधेयक में 6 महीने की सजा को खत्म करें जुर्माना राशि 10000 से बढ़कर 1 लाख करने का प्रावधान किया गया है। पंजीकरण करने के बाद उनके लाइसेंस की अवधि 2 साल की होगी।

जल उपकार का नाम बदलकर करेंगे जल आयोग

प्रदेश सरकार चलो कर का नाम बदलकर जल आयोग रखने वाली है। एसएमएस वीरवार को विधानसभा में संशोधन विधेयक लाया जाने वाला है। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की तरफ से यह संशोधन विधेयक पुनः स्थापित किया जाने वाला है। ऊर्जा मंत्रालय द्वारा 25 अक्टूबर को पत्र जारी किया गया था जिसमें मोटर से इसको अवैध और संवैधानिक बताया गया था। इसके साथ-साथ रोक लगाने के निर्देश पर दिए गए थे। प्रदेश सरकार द्वारा सप्ताह संभालते हुए जल विद्युत परियोजनाओं पर वाटर से लगाने का फैसला लिया गया था। अजीत सिंह रांची में स्थापित 173 परियोजनाओं में सालाना करीबन 2000 करोड रुपए की आय होने की उम्मीद थी।

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