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Sixth Day of Navratri: नवरात्रि के छठे दिन करें मां कात्यायनी की पूजा, जानें दुख और संकट हरने वाली को पूजने की विधि और मंत्र

• LAST UPDATED : October 20, 2023

India News (इंडिया न्यूज), Sixth Day of Navratri:  हिन्दु धर्म में शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व होता है। वहीं शारदीय नवरात्र के छठे दिन जगत जननी आदिशक्ति मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इस दिन साधक का मन ‘आज्ञा चक्र’ में अवस्थित होता है। वहीं साधक इस चक्र में रहकर मां की साधना में लीन रहते हैं। सनातन शास्त्रों क हा जाता है कि मां कात्यायनी बेहद दयालु और कृपालु होती हैं। अपनी कृपा -दृष्टि सभी साधकों के उपर बरसाती रहती हैं। जिससे साधक के जीवन में व्याप्त सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। तो चलिए जानते हैं शारदीय नवरात्र के छठे दिन कैसे और किस विधि- विधान से मां कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए।

पूजा का शुभ मुहूर्त

आज के पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्र की पंचमी तिथि 20 अक्टूबर को देर रात 12 बजकर 31 मिनट से शुरू होगी और यह रात 11 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। जिसके पश्चात, सप्तमी तिथि शुरू हो जाएगी। अतः साधक को दिनभर माता की पूजा कर सकते हैं।

पूजन विधि

शारदीय नवरात्र के छठे दिन यानी आज ब्रह्म बेला में उठें। जिसके बाद, घर की साफ-सफाई कर लें। दैनिक कार्यों से निवृत होने के बाद गंगाजल से युक्त पानी से स्नान कर लें। आसान शब्दों में कहें तो स्नान करने वाले पानी में गंगाजल को मिला लें। फिर स्नान-ध्यान कर आचमन करें। वहीं इसी समय व्रत संकल्प लें और नवीन लाल रंग के वस्त्र को धारण करें। इस समय सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद फिर पूजा गृह में चौकी पर लाल वस्त्र को बिछाकर मां की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। अब इन मंत्रों से मां कात्यानी का आह्वान करें-

मंत्र

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहन।

कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी ॥

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

इसके बााद पंचोपचार कर मां कात्यायनी की पूजा विधि-विधान से करें। मां को लाल रंग काफी प्रिय माना जाता है। अतः मां को लाल रंग के फूल और फल को अर्पित करना चाहिए। साथ ही फल, फूल, पान, सुपारी, दूर्वा, तिल, जौ, अक्षत आदि से मां की पूजा करना चाहिए। विवाहित स्त्रियां सुख और सौभाग्य प्राप्ति के लिए और अविवाहित जातक शीघ्र विवाह के लिए श्रृंगार की वस्तुएं भी भेंट कर सकते हैं। इस समय दुर्गा चालीसा, कवच और स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। अंत में मां की आरती को कर सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति की कामना करना चाहिए। मनोकामना पूर्ति के लिए उपवास रखें।

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