अकबर के नवरत्नों में से एक अबुल फजल थे।
उन्होंने अपनी किताब 'आईने अकबरी' में मुगल हरम में कई तरह के इत्रों के बारे में बताया।
हरम की रानियां और दासी अलग - अलग इत्र से स्नान करती थीं और उनका कमरा इत्र से महकता रहता था।
मुगल कई तरह के फूलों और फलों से इत्र बनवा कर कलाई पर, कान पर और गर्दन के पीछे इस्तेमाल करते थे।
मुगल रहम में रानियाँ इत्र से नहाती थी, कपडे में लगाती थी और कमरे में लगाती थीं।
चंदन, केसर और रूह खास जैसे कई इत्र हैदराबाद के निजाम जैस्मीन इस्तेमाल करते थे।
सबसे महंगे इत्र रूह-ए-गुलाब का इस्तेमाल नूरजहां किया करती थीं।