उड़ते हुए प्लेन का तेल खत्म हो जाए तो क्या होगा? जानिए

आपने भी कई बार विमान से यात्रा की होगी, लेकिन क्या कभी आपके दिमाग में ये ख्याल आया कि यदि सफर के बीच में तेल खत्म हो जाए तो क्या होगा?

पहली बात तो किसी भी विमान में एक जगह से दूसरी जगह तक जाने के लिए कितना तेल लगेगा, इसका सही अंदाजा लगाकर फ्यूल टैंक भरते हैं

किसी भी जहाज का फ्यूल टैंक उस फ्लाइट के आकार पर निर्भर होता है,बोइंग 747 जंबो जेट में 182,000 लीटर, जबकि एयरबस A380 में 3.23 लाख लीटर तक तेल आता है

फ्यूल टैंक कभी भी पूरा इस कारण नहीं भरा जाता है ताकि लैंडिंग के समय ज्यादा प्रेशर हो जाने के कारण उसके चलते कोई एक्सीडेंट ना हो जाए

इसके बावजूद यदि फ्लाइट में उड़ान के दौरान फ्यूल खत्म हो जाए तो उस स्थिति में प्लेन क्रैश होने से बचाने के लिए पायलट को ट्रेनिंग दी जाती है

फ्यूल कम होने पर पायलट को इंडिकेटर वार्निंग देने पर पता लग जाता है, इसके बाद पायलट दो काम करना शुरू कर देता है

सबसे पहले पायलट एयर ट्रैफिक कंट्रोल को जानकारी देता है ताकि आसपास के किसी एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग की जा सके

कई देशों में एयर ट्रैफिक कंट्रोल जानकारी मिलने पर फ्यूल टैंकर प्लेन को उड़ते हुए विमान की तरफ भेजकर उसमें हवा में ही फ्यूल भरवा देते हैं

फ्यूल टैंकर प्लेन प्रभावित प्लेन के पास पहुंचकर स्पीड मैच करता है,फिर हवा में ही फ्यूल पाइप से तेल भर देता है, हालांकि यह सुविधा सब विमान में नहीं होती

इसके अलावा पायलट दोनों इंजन को बारी-बारी से ऑन-ऑफ करते हुए विमान को तब तक उड़ाता रहता है, जब तक लैंडिंग के लिए कोई जगह नहीं मिल जाती

बता दें कि यदि उड़ते समय फ्लाइट का इंजन बंद होने पर भी वह तत्काल क्रैश नहीं होता बल्कि ग्लाइडर की तरह हवा में तैरता हुआ नीचे तक पहुंचता है