इस्लाम में कौन हैं 72 हूरें? ये किसे और कैसे मिलती हैं

आपने यकीनन ही इस्लाम में 72 हूरों के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस्लाम के हिसाब से ये 72 हूरें कौन होती हैं और इनका क्या काम होता है?

इस्लाम में ऐसा कहा जाता है कि जो लोग अल्लाह के बताए रास्ते पर चलते हैं और नेक नियती को अपनाते हैं, उन्हें मरने के बाद जन्नत मिलती है जहां उनकी मुलाकात हूरों से होती है

इस्लाम के मुताबिक, अगर कोई खुदा की खिदमत में अपनी जिंदगी लगा दे तो जन्नत नसीब होती है. इसी जन्नत में उस मुसलमान को हूरी या हूरें मिलती हैं

कई इस्लामिक धर्मगुरुओं का कहना है कि कुरान में 'हूर' का जिक्र मिलता है, लेकिन ये 'हूर' 72 हैं या 75. इसकी संख्या का जिक्र नहीं है

जन्नत में हूर की अवधारण कुछ ऐसी है जैसी स्वर्ग में अप्सरा को लेकर है यानी एक ऐसी स्त्री जो जन्नत यानी स्वर्ग के अलावा कहीं और नहीं है

इन हूरों की सुंदरता सबसे ऊपर है और उस जैसी सुंदर कोई स्त्री दुनिया में नहीं है. जन्नत में मौजूद इसी सुंदर स्त्री को इस्लाम में हूर कहा गया है

इस्लामिक स्कॉलर डॉ. मुहिउद्दीन गाज़ी ने बताया कि, जो मुसलमान अपने ईमान पर रहेगा और अल्लाह के रास्ते पर ही शहीद होगा उसे 22 हूरें एक इनाम के तौर पर मिलेंगी, कुछ हदीसों में इसका जिक्र है

लेकिन दिक्कत ये है कि लोगों को जिहाद का असली मतलब नहीं पता है, लोग इसे आतंकवाद से जोड़कर देखते हैं. जिहादा और आतंकवाद दोनों एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं

WORD OF PROPHET साफ कहता है कि जो आतंकवाद फैलाएगा वो बुरा कर रहा है और ये करते हुए अगर कोई मारा जाता है तो उसे बुरे आदमी की मौत की तरह देखा जाएगा

इस तरह के आदमी को मरने के बाद कोई इनाम नहीं मिलता. बुरे आदमी के लिए सिर्फ नर्क है