इंडिया न्यूज, धर्मशाला (Dharamshala-Himachal Pradesh)
भावी प्रत्रकारों को समय का सदुपयोग करना आना चाहिए और कैंपस में रहते हुए पठन और पाठन की गतिविधियों में वक्त को गुजारना चहिए। इस दौरान संजोया हुआ ज्ञान नौजवान पत्रकारों को इस क्षेत्र में ऊंचे मुकाम हासिल करवा सकता है। यह कहना था एनडीटीवी के वरिष्ठ आउटपुट एडिटर राकेश तिवारी (ndtv senior output editor rakesh tiwari) का। तिवारी ने, केन्द्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के पत्रकारिता, जनसंचार, और नव मीडिया स्कूल द्वारा आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में ऑनलाइन माध्यम से छात्रों को संबोधित करते हुए अपने विचार रखे।
नव मीडिया विभाग के ट्रेनिंग और प्लेसमेंट सैल द्वारा आयोजित न्यूज रूम प्रैक्टिस एंड क्वालिटीज रिक्वायर्ड फॉर बड्डिंग स्क्राइब्स (News Room Practice and Quality Required For Budding Scribes) विषय पर हुई इस कार्यशाला में तिवारी ने कहा कि पत्रकारिता में देश सेवा और समाज सेवा का भाव अहम है।
अगर किसी में इसकी कमी है तो उसको इस क्षेत्र में करियर बनाने के बारे में नहीं सोचना चाहिए। इस दौरान उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर समाज का आइना बनना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें खुद शिक्षित होना होगा।
तिवारी ने छात्रों को खबर को लिखने का हुनर निखारने पर जोर (Emphasis on improving the skill of writing news to students) दिया और कहा कि इसे रोजाना अभ्यास के माध्यम से सुधारा जा सकता है साथ ही उन्होंने तथ्यों के साथ खिलवाड़ करने से सख्त परहेज की हिदायत भी छात्रों को दी।
उन्होंने कहा कि शब्दों में इतनी ताकत होती है कि वह समाज में बड़े से बड़ा बदलाव ला सकतें हैं (There is so much power in words that they can bring a big change in the society)
उन्होने कहा कि पत्रकारिता के क्षेत्र में करियर की असीम संभावनाएं (extreme chance of career opportunities in journalism) हैं। एक मीडिया का छात्र, रिपोर्टर, न्यूज एंकर, कंटेंट राइटर, न्यूज प्रोड्यूसर, वीडियो एडिटर, ग्राफिक्स डिजाइनर और प्रोडक्शन कंट्रोल रूम में निर्देशक तक की भूमिका निभा सकता है।
उन्होंने कहा कि इन में किसी भी किरदार को निभाने के लिए सच्ची लगन की जरूरत है।
पत्रकारिता, जनसंचार, और नव मीडिया स्कूल के अधिष्ठाता डॉ0 आर. पी. राय ने कहा कि ऑनलाइन माध्यमों के विस्तार के इस दौर में हमें खबरों को सटीकता से पेश करना चाहिए (News should be presented accurately)।
साथ ही उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ सोशल मीडिया की बदौलत कई अहम मुद्दे उजागर हुए हैं, तो दूसरी तरफ इन्होंने फेक न्यूज के प्रचलन को भी बढ़ाया है जोकि समाजिक तानेबाने के लिए कफी नुकसानदेह है।
इस एक दिवसीय कार्यशाला का समापन करते हुए विश्वविद्यालय के शोध निदेशक प्रोफेसर (डॉ0) प्रदीप नायर ने कहा कि इस दौर में खबरों की विश्वासनीयता में कुछ कमी देखी जा रही है।
उन्होंने कहा कि दो दशक में अखबारों और न्यूज चैनल में खबरों में काफी खोजी पत्रकारिता के उदाहरण देखने को मिलते थे जोकि आज के इस दौर में गुम होते दिख रहे हैं।