India News (इंडिया न्यूज़), Himachal: हिमाचल प्रदेश सरकार ने बरसात के दौरान 6746.93 करोड़ रुपये के नुकसान होने का प्रस्ताव गृह मंत्रालय को भेजा है। 10 अगस्त तक हुए नुकसान के आधार पर आर्थिक सहायता देने की केंद्र सरकार से मांग की गई है। आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से आपदा के बाद की जरूरतों का आकलन करने में राज्य की सहायता का आग्रह किया है, ताकि पुनर्निर्माण और पुनर्वास गतिविधियों के लिए केंद्र से सहायता मांगी जा सके। शुक्रवार को राज्य सचिवालय में मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने राज्य कार्यकारी समिति (एसईसी) की 20वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए आपदा संभावित क्षेत्रों की संवेदनशीलता की जांच करने और नुकसान कम करने के लिए किए जाने वाले उपायों संबंधी योजनाओं पर चर्चा की।
आपदा की स्थिति में जानमाल का जोखिम कम करने के लिए त्वरित सामूहिक प्रतिक्रिया को सुदृढ़ करने पर भी मंथन किया। बाढ़ सुरक्षा, भूस्खलन, भूकंप और अन्य संवेदनशील स्थितियों के लिए एक स्थायी वैज्ञानिक योजना की तलाश की जानी चाहिए। किसी भी आपदा की स्थिति में पुलिस बल को आगे आकर कार्यवाही करनी होती है, ऐसे में इन बलों को त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए भी प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है। समिति ने प्रदेश के चयनित नाजुक भवनों, स्कूलों और सामुदायिक स्वास्थ्य संस्थानों की भूकंप रेट्रोफिटिंग तथा इसके लिए कुछ जिलों में पायलट आधार पर परियोजना शुरू करने पर भी चर्चा की।
बैठक में ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षित निर्माण, बड़ी परियोजनाओं के मूल्यांकन तथा सुरक्षित निर्माण उपायों को प्रोत्साहित करने के दृष्टिगत सुरक्षा प्रकोष्ठ स्थापित करने तथा नदी-नालों और उच्च ढलानों के समीप निर्माण को विनियमित करने और राज्य आपदा प्रबंधन एवं क्षमता निर्माण संस्थान की स्थापना पर भी चर्चा की गई। इसके अतिरिक्त राज्य में राष्ट्रीय आपदा मुख्यालय और क्षेत्रीय प्रतिक्रिया केंद्रों की स्थापना की प्रक्रिया में तेजी लाने तथा गृह मंत्रालय के मानदंडों के अनुसार राज्य में प्रतिक्रिया बल और एनडीआरएफ की तैनाती पर भी चर्चा की गई।
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