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Manali Fagli Festival: मनाली में मन रहा अनोखा फगली फेस्टिवल, 11 दिन जलाए जाते है जिंदा लोगों के बाल

• LAST UPDATED : January 29, 2024

India News (इंडिया न्यूज़), Manali Fagli Festival: इस आर्टिक्ल को पढ़ रहे आप में से कई लोग काफी बार मनाली घुमने गए ही होंगे। परंतु क्या आप मनाली के इस फगली उत्सव के बारे में जानते है? या कभी इसके बारे में सुना है? पर्यटन के लिए पहचाने जानें वाले इस शहर में सटे मनाली गांव में 11 दिन तक इस उत्सव को मनाया जाता है। असल में ये फगली उत्सव हर साल 11 दिनों तक मनाया जाता है। इस उत्सव में जिंदा लोगों के बाल जलाए जाते है। जानकारी है कि इस उत्सव में लोग चुपके से एक दूसरे के बालों में माचिस की तिली लगाते है।
इस उत्सव में लगातार 11 दिन तक लोगों की अच्छी खासी भीड़ नजर आती है। यदि आप भी मनाली जाने की सोच रहे है तो इस उत्सव में जरुर शामिल हो। स उत्सव को खत्म होने में बस कुछ ही दिन बाकि है।

जानें कब होती है इस उत्सव की शुरुआत? 

फगली उत्सव ऊझी घाटी पर फाल्गुन के महिने में मनाया जाता है। मनाली गांव का फागली उत्सव माघ के महीने में दूसरे रविवार को शुरू होता है। जिसके बाद ये लगातार 11 दिन तक मनाया जाता है। जिसका आयोजन हर 11 दिन तक चलता है। उत्सव होने से पहले गढ़ जाच मनाई जाती है। फिर दूसरे बुधवार को फागली उत्सव का समापन होता है।

क्यों मनाया जाता है ये आयोजन

जनश्रुति के अनुसार इलाके में टुंडिया राक्षस का आंतक हुआ करता था। इससे छुटकारा पाने के लिए देवताओं ने घाटी की एक लड़की से उसका विवाह करवा दिया। विवाह के बाद भी टुंडिया राक्षस का आंतक खत्म नहीं हुआ, टिंबर शाचकी की शादी एक राक्षस से करवाने के दोष से मुक्ति के लिए देवतों से उसे आमंत्रित किया तो साथ में टुंडिया राक्षस भी साथ आया। उसने फिर पूरी घाटी में आंतक मचाना शुरू कर दिया।

सुंघाए जाते हैं मानव बाल

जब उसका आंतक खत्म नहीं हुआ तो उसने आंतक से छुटकारा दिलाने के लिए, महाऋषि मनु ने उसे मानव के बाल की गंध सुंघाने का सोचा। इसी कारण से हर साल फागली उत्सव की इस परंपरा का निर्वहन किया गया। जिंदा इंसान के बाल जलाकर उसे मानव की गंध सुंघाई जाती है।

राक्षस की भी होती है मेहमान नवाजी

उत्सव में टुंडिया राक्षस की भी मेहमाननवाजी होती है, जिसमें गांव सालभर प्रेत आत्माओं से बचे रहे और सुख समृद्धि बनी रहे। माना जाता है कि टुंडिया राक्षस के आंतक से छुटकारा पाने के लिए देवताओं से उसे बुलाया था। सबसे पहले उसे महाऋषि मनु ने बुलाया, इस कारण उत्सव का आयोजन सबसे पहले मनाली गांव में होता है।

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