India News (इंडिया न्यूज़),Sant Ravidas ki Kahani: भक्तिकालीन संत, दार्शनिक और समाज सुधारक के तौर भी संत रविदास को जाना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के रविदास जी भक्त थे। भक्ति में लीन होने के बाद भी उन्होंने समाज के प्रति अपने कर्तव्यों से मुह नहीं फेरा। समाज में फैली बुराइयों को रोकने के लिए उन्होंने हमेशा लोगों को जागरूक किया था। संत रविदास के वक्त सामाजिक भेदभाव बहुत हुआ करता था। उन्होंने हमेशा लोगों को भेदभावपूर्ण मानसिकता को छोड़कर आपसी मेलजोल और प्रेम का संदेश दिया। कहा जाता है उनके पास दिव्य शक्तियां थी। जिससे वो कई चमत्कार किया करते थे। उनके चमत्कार के किस्से बहुत रोचक रहें है। चलिए जानते है उनके चमत्कारी किस्सों के बारें में।
संत रविदास जी का जन्म वाराणसी के सीर गोवर्धन में माघ पूर्णिमा के दिन संवत 1433 को हुआ था। उनके पिता जूते बनाने का काम करते थे। संत रविदास भी अपने पिता के साथ हाथ बटाते थे। उनके कामों में मदद करते थे। जिसकी वजह से उन्हें जूते बनाने का काम पैतृक व्यवसाय के तौर पर मिला था। संत रविदास जी का शुरुआत से ही साधु-संतों के प्रति ज्यादा झुकाव रहा है। जब भी कोई उनके द्वार पर सादू संत या कोई भिखारी आता था तो वो उन्हें खाली नहीं जाने देते थे। उनकी हमेशा मदद करते थे।
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एक बार की बात हैं एक महिला संत रविदास के पास से गुजरती है, उस वक्त संत रविदास लोगों के जूते सिलते हुए भगवान के भजन में लीन थे। तभी उनके पास वो महिला आती है और कहती है कि आप या तो जूते सिले या फिर भगवान का ध्यान लगाए। इस पर रविदास जी कहते हैं, मन चंगा तो कठौती में गंगा। यानी की यदि आपका मन साफ है तो आपको गंगा स्नान करने की जरूरत नहीं है। लोग उनके बारे में उस वक्त भी सुनना पसंद करते थे और आज भी उनके किस्से लोग सुनना पसंद करते है।
क्या आप जानते है गुरु संत रविदास मीराबाई के गुरू हुआ करते थे। मीराबाई ने संत रविदास से ही प्रेरणा ली थी। वो संत रविदास गुरू को बहुत मानती थी। लोककथाओं में ऐसी कई कहानियों का जिक्र है जिनमे ये लिखा गया है कि संत रविदास ने कई बार मीराबाई की जान बचाई थी।
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