India News(इंडिया न्यूज़) Pollution: उत्तर भारत में प्रदूषण का स्तर काफी से बढ़ रहा है। सरकार भी रोकथाम करने की कोशिश में जुट गई है। लेकिन प्रदूषण के स्तर में कुछ खास सुधार नहीं हो रहा है। सांस लेना भी मुश्किल हो रह है। विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले समय में जैसे-जैसे प्रदूषण बढ़ेगा, सांस के मरीजों की दिक्कतें भी बढ़ेंगी।
बता दें कि खराब वायु गुणवत्ता से अस्थमा और सांस के मरीजों की दिक्कतें बढ़ सकती हैं। क्योंकि हवा में मौजूद प्रदूषक तत्व सीधे मरीजों के फेफड़ों पर हमला कर रहे हैं। जिसके कारण श्वसन नली में एलर्जी बढ़ रही है। इसके कारण अत्यधिक संवेदनशील श्वसन रोगियों के लिए स्मॉग और भी खतरनाक हो सकता है। ऐसे में सतर्क रहने की सबसे ज्यादा जरूरत है।
1. सांस के मरीजों को सुबह और शाम टहलने के लिए घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। इस दौरान प्रदूषण का स्तर अधिक होता है। टहलने के दौरान फेफड़े अधिक ऑक्सीजन खींचते हैं, जिससे अधिक प्रदूषण तत्व शरीर के अंदर पहुंचकर नुकसान पहुंचा सकते हैं।
2. किसी को कोई गंभीर समस्या है तो घर से निकलना बिल्कुल बंद कर दें। अगर बाहर जाना बेहद जरूरी है तो बिना N95 मास्क पहने घर से बाहर न निकलें।
3. अस्थमा रोगी डॉक्टर के संपर्क में रहें और उनकी सलाह का पालन करें।
4. इनहेलर का इस्तेमाल करते रहें और डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं जरूर लें।
5. हरी सब्जियों और फलों का सेवन करें।
6. पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें और शरीर को हाइड्रेटेड रखें।
7. खांसी या सांस संबंधी कोई भी लक्षण दिखे तो डॉक्टर के सलाह पर ही दवा लें।
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