India News (इंडिया न्यूज) Rudraksh & Tulsi Mala: जो लोग श्री कृष्ण भक्त हैं, वो तुलसी धारण करते हैं क्योंकि तुलसी जी भगवान श्री कृष्ण को बेहद प्रिय हैं और जो भगवान शिव के भक्त हैं, वो रुद्राक्ष धारण करते हैं क्योंकि कहा जाता है कि रुद्राक्ष में भगवान शिव बसे होते होता है। दोनों मालाओं को धारण करने के अपने-अपने चमत्कारी लाभ हैं। जिसके चलते कुछ लोग दोनों को धारण करते है। लेकिन आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। और आपको ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए उसके लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़े। वरना आपको परेशानी हो सकती है।
कुछ लोग दोनों से मिलने वाले लाभों को पाने के लिए दोनों एकसाथ धारण कर लेते हैं। लेकिन यह गलत है। दोनों को साथ–साथ धारण करना अशुभ माना जाता है। दोनों को साथ पहनने की मनाही होती है। इसके पीछे बड़ा कारण है। जो मनुष्य की ऊर्जा और उसकी भलाई से जुड़ा हुआ है।
तुलसी और रुद्राक्ष एकसाथ क्यों नहीं करना चाहिए धारण?
शास्त्रों के मुताबिक, दोनों एकसाथ धारण नहीं करनी चाहिए । रुद्राक्ष से निकलने वाली उर्जा मल्टी डायमेंशनल होती है। तुलसी से निकलने वाली उर्जा यूनी डायमेंशनल होती है। मतलब दोनों को धारण करने का उद्देश्य अलग-अलग है। और प्रभाव भी अलग है। ऐसे में दोनों ऊर्जाएं एक-दूसरे की विरोधि कहलाती है। जिससे एक दूसरे का प्रभाव कम करती है। यदीं कोई आदमी शुद्ध रुद्राक्ष धारण करता है, तो वह रुद्राक्ष उसे हर क्षेत्र में लाभ पहुंचाएगा। उसके पास धन की कमी नहीं होगी। तुलसी की लकड़ियों से निकलने वाली यूनी डायमेंशनल उर्जा सिर्फ एक ही क्षेत्र में अपना कई गुणा लाभ पहुंचाती है। जिसके चलते ही दोनों का उद्देश्य अलग-अलग है।
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