India News Himachal (इंडिया न्यूज़), Himachal Politics: हिमाचल प्रदेश में चल रही सियासी उथल-पुथल के बीच अब पहली बार कांग्रेस के 6 और 3 निर्दलीय बागी विधायकों ने सीएम सुक्खू पर तीखा हमला बोल डाला है। इन नेताओं ने मौजूदा हालत के लिए मुख्यमंत्री को कसूरवार ठहराया है।
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के 6 असंतुष्ट नेताओं और तीन निर्दलीय विधायकों ने एक साथ संयुक्त बयान जारी कर सीएम सुक्खू पर जबरदस्त हमला बोला है। इन नेताओं राजेंद्र राणा, सुधीर शर्मा, इंद्र दत्त लखनपाल, रवि ठाकुर, देवेंद्र भुट्टो, चैतन्य शर्मा, होशियार सिंह, आशीष शर्मा और के. एल. ठाकुर शामिल हैं। सीएम पर निशाना साधते हुए सीएम सुक्खू ने कहा है कि मुख्यमंत्री को दूसरों पर कीचड़ उछालने से पहले अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए कि मौजूदा स्थिति के लिए असली गुनहगार कौन है और किसने यह स्थितियां पैदा की।
सीएम सुक्खू पर हमला बोलते हुए बागी विधायकों ने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री बार-बार किसी भी सूरत में समझौता कर लेने के लिए एप्रोच कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ वे हमारी तुलना नागों और भेड़ों से कर रहे हैं। इससे उनकी मानसिक स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। बागी विधायकों ने कहा कि चुने हुए जनप्रतिनिधियों की भेड़ बकरियों से तुलना करना हिमाचल की गौरवपूर्ण संस्कृति के खिलाफ है। इकोई भी व्यक्ति हर चीज से समझौता कर सकता है लेकिन स्वाभिमान से समझौता कतई नहीं कर सकता और वे स्वाभिमान की लड़ाई लड़ रहे हैं।
बागी विधायकों ने सीएम सुक्खू से कटाक्ष करते हुए पूछा कि अगर मुख्यमंत्री इतने ही साफ हैं तो उन्हें प्रदेश की जनता को यह हकीकत भी बतानी चाहिए। उन्हें बताना चहिए वह चंडीगढ़ के अपने आधिकारिक दौरे के दौरान हिमाचल भवन में बने सीएम सूट में रुकने की बजाय फाइव स्टार होटल में क्यों रुकते थे? सिक्योरिटी वालों को भी आगे पीछे क्यों कर देते थे? इसके पीछे मुख्यमंत्री का क्या एजेंडा और क्या राज रहता था? यह राज प्रदेश की जनता को भी मालूम होना चाहिए। परदे के पीछे वह क्या खेल खेलते थे? इसकी जानकारी जनता को देने का नैतिक साहस भी उन्हें दिखाना चाहिए।
बागी विधायकों ने कहा कि सरकार विधायकों के समर्थन से चलती है लेकिन मुख्यमंत्री सुक्खू अपनी मित्र मंडली को तरजीह देकर चुने हुए विधायकों को पिछले सवा साल से जलील कर रहे थे। जिन लोगों ने विधानसभा क्षेत्र में चुनावों में हमारा खुलकर विरोध किया, उन्हें सीएम अपने सर आंखों पर बिठाकर हमें हर पल नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे थे। उन्हें ओहदों से नवाजा जा रहा था। उनकी मित्र मंडली विधायकों के ऊपर हावी हो रही थी और मुख्यमंत्री से बार-बार इस बारे आग्रह भी किया गया था। लेकिन वे तानाशाह का रवैया अपनाए रहे। उन्होंने कहा कि चुने हुए विधायक अगर जनता के काम नहीं करेंगे तो वह जनता के बीच कैसे जाएंगे?
बागी विधायकों ने कहा कि इस सरकार में जो लोग स्वाभिमान की लड़ाई लड़ रहे हैं, उनमें से 9 तो खुलकर बाहर आ गए हैं लेकिन कुछ तो मंत्री और विधायक होने के बावजूद सुक्खू की सरकार में घुटन महसूस कर रहे हैं। व्यवस्था परिवर्तन वाली इस सरकार में स्थिति ऐसी हो गई ही है कि मंत्रिमंडल की बैठकों से भी मंत्री रोते हुए बाहर आ रहे हैं। इसके पीछे उनकी क्या मजबूरी है, यह वही बेहतर बता सकते हैं?
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