India News Himachal (इंडिया न्यूज़), Shimla News : हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में नगर निगम प्रशासन के लिए स्ट्रीट लाइटें अब सिरदर्द बन गई हैं। इन स्ट्रीट लाइटों का बिजली बिल जो पहले 10 से 20 लाख रुपये सालाना हुआ करता था, अब बढ़कर 60 से 70 लाख रुपये तक पहुंच गया है। इस बढ़ते बिल के साथ ही इन स्ट्रीट लाइटों का रखरखाव भी नगर निगम के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।
शहर में पहले 6000 स्ट्रीट लाइटें हुआ करती थीं, लेकिन अब विभिन्न योजनाओं के तहत लगाई गई स्ट्रीट लाइटों की संख्या 16000 के आंकड़े को पार कर गई है। इन बढ़ती स्ट्रीट लाइटों के कारण बिजली का खर्च भी बढ़ रहा है। नगर निगम के लिए इनका भुगतान करना भी मुश्किल हो रहा है।
बिजली बिल के अलावा, इन स्ट्रीट लाइटों का रखरखाव और मरम्मत भी नगर निगम के लिए एक चुनौती है। सभी स्ट्रीट लाइटों को समय-समय पर बदलना पड़ता है, जिसके लिए पहले से ही बजट की व्यवस्था करनी होती है। बजट की कमी के कारण इनका रखरखाव करना भी मुश्किल हो सकता है।
पिछले सालों में, सर्दियों के दौरान शिमला में स्ट्रीट लाइटें अक्सर खराब रहती थीं। नगर निगम ने पहले इस काम को देख रही कंपनी का करार खत्म कर नई कंपनी को दे दिया है। नई कंपनी के साथ करार के बाद सुधार होना शुरू हुआ है, लेकिन इनके रखरखाव के लिए आवश्यक बजट नगर निगम के लिए आने वाले समय में एक चुनौती बन सकता है।
नगर निगम के आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने स्वीकार किया कि शहर में 16000 से अधिक स्ट्रीट लाइटें हो गई हैं और इनके बिल में भी भारी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि शहर के लोगों को बेहतर स्ट्रीट लाइट सुविधा मिल सके, इसके लिए निगम की ओर से हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। शिमला नगर निगम के लिए स्ट्रीट लाइटें एक बड़ी चुनौती बन गई हैं। बढ़ते बिजली बिल और रखरखाव के खर्च से निगम पर बोझ बढ़ रहा है। नगर निगम को इन चुनौतियों का समाधान ढूंढना होगा ताकि शहर की सड़कों पर रोशनी बनी रहे और लोगों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।
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