India News (इंडिया न्यूज़), Virbhadra Singh: हिमाचल प्रदेश का सियासी मामला अभी गर्माया हुआ है। इसी बीच बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे और दिग्गज युवा नेता विक्रमआदित्य सिंह ने मीडिया के सामने रोते हुए, हिमाचल कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि मेरे पिता की मूर्ति लगाने के लिए दो गज जमीन भी नहीं मिली। आइए 6 बार मुख्यमंत्री बने वीरभद्र सिंह की राजनीतिक यात्रा के बारे में जानते हैं।
हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को उनके समर्थक प्यार से राजा साहब कहकर बुलाते थे। उनके समर्थकों का मानना था कि वीरभद्र अपने नाम की तरह वीर भी थे और भद्र भी। वीर इसलिए क्योकि राजनीति में उनके सामने कोई टिक नहीं सकता। वीरभद्र अपनी भद्रता के लिए भी जाने जाते थे। अगर उनके पास आता तो कभी खाली हाथ नहीं जाता था।
वैसे तो वीरभद्र की इच्छा थी कि वे हिस्ट्री के प्रोफेसर बनें, लेकिन उनकी किस्मत तो राजनीति में लिखी थी। वीरभद्र सिंह के लिए कहा जाता है कि वे प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री से प्रेरणा लेकर राजनीति में आए थे। जिसके बाद उन्होंने राजनीति पर ऐसा प्रभाव डाला कि अब उनकी गिनती हिमाचल प्रदेश शीर्ष नेताओं में होती है। वीरभद्र को मॉडर्न हिमाचल के निर्माता के तौर पर भी जाना जाता है। 6 बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के साथ वीरभद्र UPA सरकार में कैंद्रिय इस्पात मंत्री भी रहे।
साल 1962 में वीरभद्र सिंह ने अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा। साल 1962 में वीरभद्र सिंह ने पहली बार महासू सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा था। 1983 में वे हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री चुने गए। जिसके बाद लगातार 2012 लगातार वे हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। 2012 से 2017 तक मुख्यमंत्री के तौर पर उनका आखिरी कार्यकाल रहा। उन्होंने साल 2017 में अर्की विधानसभा से अपना आखिरी चुनाव लड़ा।
5 जुलाई 2021 को इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज, शिमला में कार्डियक अरेस्ट से पीड़ित होने के बाद वीरभद्र सिंह का स्वास्थ्य बिगड़ गया। 11 जून को वह दो महीने में दूसरी बार COVID-19 पॉजिटिव पाए गए थे। 8 जुलाई 2021 को लंबी बीमारी के बाद वीरभद्र सिंह का निधन हो गया। लेकिन हिमाचल प्रदेश की राजनीति में आज भी उनकी प्रासंगिकता बरकरार है।
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